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रहस्यमयी हालातों में हुई थी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत, अब तक नहीं सुलझी गुत्थी, पुण्यतिथि पर PM Modi ने दी श्रद्धांजलि

Shyama Prasad Mukherjee Death Anniversary: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु के लगभग 7 दशक बाद भी उनकी मृत्यु रहस्य बनी हुई है। कुछ समय पहले कोलकाता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने मांग की है कि डॉ. मुखर्जी की मृत्यु की जांच के लिए एक आयोग का गठन […]

Shyama Prasad Mukherjee Death Anniversary (श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि आज)
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  • Last Updated: June 23, 2025 13:22:58 IST

Shyama Prasad Mukherjee Death Anniversary: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु के लगभग 7 दशक बाद भी उनकी मृत्यु रहस्य बनी हुई है। कुछ समय पहले कोलकाता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने मांग की है कि डॉ. मुखर्जी की मृत्यु की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया जाए। इससे यह पता चलेगा कि उनकी मृत्यु स्वाभाविक थी या कोई साजिश। वैसे, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी संदेह जताया था कि जनसंघ के संस्थापक मुखर्जी किसी साजिश का शिकार हुए थे।

मृत्यु को लेकर उठ रहे हैं कई सवाल

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, आज ही के दिन 1953 में भारतीय जनसंघ के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। मृत्यु में साजिश के संदेह को समझने के लिए हमें एक बार इतिहास में जाना होगा। जुलाई 1901 को कोलकाता के एक कुलीन बंगाली परिवार में जन्मे मुखर्जी के पिता आशुतोष मुखर्जी राज्य में शिक्षाविद् के रूप में जाने जाते थे। पढ़ने-लिखने के माहौल में पले-बढ़े मुखर्जी महज 33 साल की उम्र में कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बन गए। वहां से वे कोलकाता विधानसभा पहुंचे। यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई लेकिन मतभेदों के चलते वे अलग होते चले गए।

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अनुच्छेद 370 का विरोध करते थे मुखर्जी

मुखर्जी लगातार अनुच्छेद 370 का विरोध करते रहे। वे चाहते थे कि कश्मीर को भी दूसरे राज्यों की तरह देश का अभिन्न अंग माना जाए और वहां भी समान कानून लागू हों। यही वजह है कि जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें अपनी अंतरिम सरकार में मंत्री पद दिया तो उन्होंने कुछ ही समय में इस्तीफा दे दिया। मुखर्जी ने कश्मीर मुद्दे को लेकर नेहरू पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि एक देश में दो झंडे, दो संविधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे।

इस्तीफा देने के बाद चले गए कश्मीर

इस्तीफा देने के बाद वे कश्मीर चले गए। वे चाहते थे कि देश के इस हिस्से में जाने के लिए किसी अनुमति की जरूरत न पड़े। नेहरू की नीतियों के विरोध के दौरान मुखर्जी कश्मीर जाकर अपने विचार रखना चाहते थे, लेकिन 11 मई 1953 को श्रीनगर में प्रवेश करते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय वहां शेख अब्दुल्ला की सरकार थी। दो सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किए गए मुखर्जी को पहले श्रीनगर सेंट्रल जेल भेजा गया और फिर वहां से उन्हें शहर के बाहर एक कॉटेज में ट्रांसफर कर दिया गया।

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मुखर्जी की बिगड़ी तबीयत

एक महीने से ज्यादा समय तक जेल में बंद रहे मुखर्जी की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी। उन्हें बुखार और पीठ दर्द की शिकायत थी। 19 और 20 जून की दरमियानी रात को पता चला कि वे प्ल्यूराइटिस से पीड़ित हैं, जिससे वे 1937 और 1944 में भी पीड़ित हुए थे। डॉक्टर अली मोहम्मद ने उन्हें स्ट्रेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन दिया। मुखर्जी ने डॉ अली से कहा था कि उनके पारिवारिक डॉक्टर ने कहा है कि यह दवा मुखर्जी के शरीर के लिए सूट नहीं करती, फिर भी अली ने उन्हें आश्वस्त किया और उन्हें यह इंजेक्शन दिया।

हार्ट अटैक से हुई मौत

22 जून को मुखर्जी को सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई। जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो पता चला कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है। राज्य सरकार ने घोषणा की कि 23 जून को सुबह 3:40 बजे दिल का दौरा पड़ने से मुखर्जी की मृत्यु हो गई। अस्पताल में इलाज के दौरान मुखर्जी की देखभाल के लिए सिर्फ एक नर्स राजदुलारी टिकू मौजूद थीं। टिकू ने बाद में अपने बयान में कहा कि जब मुखर्जी को दर्द हुआ तो उन्होंने डॉ जगन्नाथ जुत्शी को बुलाया। जुत्थी ने नाजुक हालत देखते हुए डॉ. अली को बुलाया और कुछ देर बाद 2:25 बजे मुखर्जी चल बसे थे।

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