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Supreme Court Ayodhya Ram Mandir Hearing: अयोध्या राम मंदिर विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए भेजा, जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला, श्री श्री रविशंकर और श्रीराम पंचू होंगे मध्यस्थ

Supreme Court Ayodhya Ram Mandir Hearing: अयोध्या राम मंदिर विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए भेज दिया है. बुधवार को कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. हालांकि हिंदू पक्षकारों ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजे जाने का विरोध किया है.

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  • Last Updated: March 8, 2019 10:34:39 IST

नई दिल्ली. अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्यस्थता के लिए भेज दिया. एक हफ्ते के भीतर मध्यस्थता की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए तीन सदस्यों का पैनल गठित किया है, जिसके अध्यक्ष जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला होंगे. बाकी दो सदस्य श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू हैं. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता की प्रक्रिया फैजाबाद में होगी और मध्यस्थ 8 हफ्ते में मध्यस्थता की प्रक्रिया को पूरा करें. कोर्ट ने मध्यस्थता की रिपोर्टिंग पर भी बैन लगा दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मध्यस्थ चाहें तो और लोगों को भी पैनल में शामिल कर सकते हैं. कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया है कि वह फैजाबाद में मध्यस्थों को सारी सुविधाएं मुहैया कराए. मध्यस्थता की प्रक्रिया कैमरे के सामने होगी और मध्यस्थ कानूनी सलाह भी ले सकते हैं. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच जजों की बेंच के सामने पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि यह सही और विवेकपूर्ण नहीं होगा.

उत्तर प्रदेश सहित हिंदू पक्षकारों ने भी अदालत के प्रस्ताव का विरोध किया था. राम लला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सी.एस.वैद्यनाथन ने भी मध्यस्थता का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि भगवान राम की जन्मभूमि विश्वास व मान्यता का विषय है और वे मध्यस्थता में विरोधी विचार को आगे नहीं बढ़ा सकते. हालांकि मुस्लिम पक्षकारों ने कहा था कि उन्हें कोर्ट का फैसला मंजूर होगा.

रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत कमलनयन दास ने कहा था कि मुसलमानों के साथ कोई समझौता कतई नहीं होगा. राम हिंदुओं के लिए पूजनीय हैं. उन पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है. दास ने कहा, फैसले में देरी के लिए कोर्ट खुद दोषी है. यहां से हर बार हिन्दुओं को अपमानित होना पड़ा है. यहां मामले को बेवजह लटकाया जा रहा है. महंत दास ने कहा, राम जन्मभूमि कोई लड्डू नहीं है, जो सबको बांट दिया जाए. उस जगह पर सिर्फ राम मंदिर बनेगा. मुसलमानों से समझौता कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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