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पैतृक संपत्ति पर अब लिव-इन रिलेशन से जन्मे बच्चे का भी होगा हक़, समझें SC के फैसले का क्या असर होगा

केरल, सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पुरुष और महिला सालों तक पति-पत्नी की तरह साथ रहते हैं, तो मान लिया जाता है कि दोनों में शादी हुई होगी और इस आधार पर उनके बच्चों का पैतृक संपत्ति पर पूरा हक़ […]

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  • Last Updated: June 14, 2022 16:28:34 IST

केरल, सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पुरुष और महिला सालों तक पति-पत्नी की तरह साथ रहते हैं, तो मान लिया जाता है कि दोनों में शादी हुई होगी और इस आधार पर उनके बच्चों का पैतृक संपत्ति पर पूरा हक़ होगा.

दरअसल, ये पूरा मामला संपत्ति विवाद को लेकर था. साल 2009 में केरल हाईकोर्ट में ये मामला आया था, जिसमें हाईकोर्ट ने पैतृक संपत्ति पर लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे कपल के बेटे को संपत्ति में हिस्सा देने से मना कर दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले पलटते हुए कहा है कि लिविंग रिलेशनशिप से जन्में बेटे को पैतृक संपत्ति पर हक देने से मना नहीं किया जा सकता.

ये था पूरा मामला

– ये मामला केरल का था और जिस संपत्ति को लेकर मामला अदालत में चल रहा था, वो संपत्ति कत्तूकंडी इधातिल करनल वैद्यार की थी. कत्तूकंडी के चार बेटे थे- दामोदरन, अच्युतन, शेखरन और नारायण.

– याचिकाकर्ता का कहना था कि वो दामोदरन का बेटा है, जबकि प्रतिवादी करुणाकरन का कहना था कि वो अच्युतन का बेटा है. बता दें कि कत्तूकंडी के और दो बेटों शेखरन और नारायण की अविवाहित रहते हुए ही मौत हो गई थी.

– प्रतिवादी करुणाकरन का कहना था कि वही सिर्फ अच्युतन की इकलौती संतान है, और बाकी तीनों भाई अविवाहित थे, और उसने ये आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता की मां ने दामोदरन से शादी नहीं की थी, क्योंकि दामोदरन अविवाहित था इसलिए याचिकाकर्ता वैध संतान नहीं हैं, लिहाजा उसे संपत्ति में हक नहीं मिल सकता.

– संपत्ति को लेकर ये विवाद बढ़ा और मामला कोर्ट तक जा पहुंचा, जहाँ कोर्ट ने माना कि दामोदरन लंबे समय तक याचिकाकर्ता की माँ चिरुथाकुट्टी के साथ रहा, इसलिए माना जा सकता है कि दोनों ने शादी की थी. ट्रायल कोर्ट ने संपत्ति को दो हिस्सों में बांटने का आदेश दे दिया.

– बाद में मामला केरल हाईकोर्ट में पहुंचा, जहाँ कोर्ट ने कहा कि दामोदरन और चिरुथाकुट्टी के लंबे समय तक साथ रहने के सबूत नहीं हैं और दस्तावेजों से साबित होता है कि वादी दामोदरन का बेटा जरूर है, इसलिए याचिकाकर्ता को संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया गया, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस फैसले को बदलते हुए कहा कि बेटे को पैतृक संपत्ति पर हक देने से मना नहीं किया जा सकता.

 

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