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जातिगत जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट करेगा अंतिम फैसला, पिटिशनर ने गिनवाए 5 बड़े फायदे!

नई दिल्ली: विपक्ष द्वारा उठाया गया जाति जनगणना का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। विपक्ष समेत एनडीए के घटक दलों ने भी इसकी मांग की है जिसे लेकर सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि वह सरकार और पिछड़े और और हाशिए […]

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  • Last Updated: September 1, 2024 07:43:45 IST

नई दिल्ली: विपक्ष द्वारा उठाया गया जाति जनगणना का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। विपक्ष समेत एनडीए के घटक दलों ने भी इसकी मांग की है जिसे लेकर सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि वह सरकार और पिछड़े और और हाशिए पर पड़े वर्गों के कल्याण के लिए जाति जनगणना कराने का आदेश दें।

अपको बता दें याचिकाकर्ता की तरफ से जाति जनगणना की फायदे भी गिनवाए गए हैं। याचिका में कास्ट सेंसस के  5 बड़े फायदे बताए गए हैं। आइए जानते हैं क्या है जाति जनगणना के फायदे।

कास्ट सेंसस के फायदे

जनहित याचिका में कहा गया है कि सामाजिक – आर्थिक जाति जनगणना से वंचित समूहों की पहचान करने, संसाधनों के समान वितरण और नीतियों के कार्यान्वयन की निगरानी में मदद मिलेगी। जाति जनगणना के ये तीन लाभ थे। इसके अलावा जाति जनगणना के दो और लाभ हैं। याचिका में कहा गया है कि पिछड़े और अन्य हाशिए पर पड़े वर्गों का पहला सटीक डेटा सामाजिक न्याय और संवैधानिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। दूसरा लाभ यह है कि नीति निर्माण के लिए डेटा आधारित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। सटीक डेटा सामाजिक-आर्थिक स्थितियों और जनसंख्या को समझने में मदद मिलती है, जिससे वंचित समुदायों के लिए कल्याण करना आसान हो जाता है।

2 सितंबर को होगी सुनवाई

याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 340 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की जांच के लिए एक आयोग की नियुक्ति का आदेश दिया गया है। जनगणना न केवल जनसंख्या में बदलाव का ट्रैकर है। अपको बता दें कि इस याचिका पर 2 सितंबर यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है।

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