नई दिल्लीः पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अपने जीवन में एक सफल अर्थशास्त्री, नीति निर्माता और राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे। वे 10 साल तक पीएम रहे। पूर्व प्रधानमंत्री की चुप्पी के लिए भी उनकी खूब आलोचना हुई। वह मूलत: अर्थशास्त्री थे, इसीलिए शायद उन्हें राजनेताओं की तरह भाषण देने की कला नहीं आती थी, लेकिन संसद में कई बार उन्होंने अपने शायराना अंदाज से बीजेपी नेताओं को मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया।
‘माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं’
आज भी लोग उस घटना को याद करते हैं जब संसद में उनके और बीजेपी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज के बीच शेरो-शायरी का दौर चला था. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को शायरी के जरिए जवाब दिया था। घटना 23 मार्च 2011 की है। लोकसभा में वोट के लिए नोट विषय पर चर्चा हो रही थी और मनमोहन सिंह विपक्ष के सवालों का जवाब दे रहे थे।
सुषमा स्वराज खूब मुस्कराईं
इस दौरान विपक्ष की नेता सुषमा ने उन पर तंज कसते हुए कहा था- ”तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि कारवां क्यों लुटा, मुझे रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है।” इसके जवाब में मनमोहन सिंह ने कहा था-”माना के तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक तो देख मेरा इंतजार तो देख।” जब कैमरा सुषमा स्वराज पर फोकस हुआ तो बीजेपी नेता सीट पर बैठे-बैठे मुस्कुरा रही थीं। मनमोहन सिंह के इस जवाब पर सत्ता पक्ष ने काफी देर तक मेजें थपथपाई थी, जबकि विपक्ष खामोश रहा।
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आलोचना से व्यथित मनमोहन ने दे दिया इस्तीफा, PM ने लगाया अटल जी को फोन, फिर ऐसे माने…