नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में बना ताजमहल एक विश्व धरोहर मकबरा है. इसे 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था. बता दें कि ताज महल को 1983 में यूनेस्को की विश्व धरोहर की लिस्ट में भी शामिल किया गया था, और ताज महल के निर्माण में लगभग 22 साल लगे थे. हालांकि अपनी खूबसूरती के कारण ये दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है, और उनकी ज़मीन के मालिकाना हक को लेकर समय-समय पर हमेशा विवाद उठते ही रहते हैं. तो आइए कुछ तथ्य बताते हैं कि ये भूमि आमेर के एक समुदाय की थी, जिसे शाहजहाँ ने खरीद लिया था, और जयपुर के राजघराना परिवार का दावा है कि उनके पूर्वज ताजमहल की भूमि से संबंधित हैं, जिसे मुगल सम्राट ने बलपूर्वक कब्‍जाया था.

मुगल सम्राट ने बलपूर्वक कब्‍जाया था जमीन

बता दें कि बीजेपी सांसद सुब्रमणयम स्वामी ने 2017 में कहा था कि उनके पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार मुगल सम्राट शाहजहां ने जयपुर के राजाओं की जमीन हड़पकर उस पर ताजमहल बनवा दिया था. साथ ही उन्‍होंने ये भी बताया कि शाहजहां ने जयपुर के राजा-महाराजाओं को उस जमीन को बेचने पर बहुत विवश कर दिया था, जिस पर आज ताजमहल खड़ा है. दरअसल मुआवजे के रूप में उन्हें कुछ गांव दिए गए थे, जिनकी कीमत ताजमहल की जमीन से काफी कम थी, और उन्होंने दावा किया था कि दस्तावेजों के अनुसार प्रॉपर्टी पर एक मंदिर भी था. जिसका आज कोई भी सबूत नहीं हैं कि ताजमहल मंदिर को तोड़कर भी बनाया गया था.

इमारत का पहला नाम ताजमहल नहीं था

दरअसल जब मुमताज को कब्र में दफनाया गया था, तब मुगल बादशाह शाहजहां ने सफेद संगमरमर से बनी इस बेहद खूबसूरत इमारत का नाम ‘रऊजा-ए-मुनव्वरा’ रख दिया था. लेकिन कुछ ही सालों बाद इसका नाम बदलकर ताजमहल किया गया, और उस दौर में इसे बनाने में 3.2 करोड़ रुपये का खर्च किया गया था. जिसमें 28 अलग-अलग तरह के पत्थरों का प्रयोग किया गया है. बता दें कि ताजमहल को बनाने में 20,000 से ज्यादा मजदूरों ने दिनरात कड़ी मेहनत की थी, और शाहजहां ने इसके शिखर पर 40 हजार से भी ज्यादा तोले सोने से बना हुआ 30 फीट से ज्‍यादा लंबा एक कलश भी रखवाया था. हालांकि इस कलश में 1800 तोले से ज्यादा सोना था.

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