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उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री का जन्म आज, राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने किया था सम्मानित

लखनऊ। गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। इनका मुख्यमंत्री कार्यकाल 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1954 तक रहा। उसके बाद भारत के गृहमंत्री भी बने. इन्होंने भारतीय संविधान में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने व जमींदारी प्रथा को खत्म कराने में सहायता किया था। भारत रत्न […]

Govind Ballabh Pant
inkhbar News
  • Last Updated: September 10, 2022 14:34:42 IST

लखनऊ। गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। इनका मुख्यमंत्री कार्यकाल 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1954 तक रहा। उसके बाद भारत के गृहमंत्री भी बने. इन्होंने भारतीय संविधान में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने व जमींदारी प्रथा को खत्म कराने में सहायता किया था। भारत रत्न का सम्मान उनके ही गृहमंत्री काल में आरम्भ किया गया था। 1947 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा भारत के गृहमंत्री के रूप में उत्कृष्ट कार्य करने के उपलक्ष्य में उनको राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

लालन-पोषण उनकी मौसी ने किया।

गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितम्बर 1887 में उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले के खूंट नामक गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पंत के पिता का नाम श्री मनोरथ पन्त था. श्री मनोरथ पंत गोविन्द के जन्म से 3 वर्ष पहले पत्नी के साथ पौड़ी गढ़वाल चले गये थे। बालक गोविन्द एक-दो बार पौड़ी गया लेकिन स्थायी रूप से अल्मोड़ा में रह गया। उनका लालन-पोषण उसकी मौसी धनीदेवी ने किया। गोविन्द ने 10 वर्ष की आयु तक घर पर ही शिक्षा ग्रहण किया। 1897 में पंत को स्थानीय ‘रामजे कॉलेज’ में प्राथमिक पाठशाला में दाखिल कराया गया। 12 वर्ष की आयु में उनका विवाह ‘गंगा देवी’ से हो गया। उस समय गोविंद कक्षा सात में थे। गोविन्द इण्टर की परीक्षा पास करने बाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और बी.ए. में गणित, राजनीति और अंग्रेज़ी साहित्य विषय रखा।

वकालत का अंदाज

गोविन्द बल्लभ पंत जी का मुकदमा लड़ने का अलग अंदाज था जो मुवक्किल अपने मुकदमों के बारे में सही जानकारी नहीं देने पर पंत जी उनका मुकदमा नहीं लड़ते थे। काशीपुर में एक बार गोविन्द बल्लभ पंत जी धोती, कुर्ता और गाँधी टोपी पहनकर कोर्ट चले गये। वहां पर अंग्रेज़ मजिस्ट्रेट ने आपत्ति की। पंत जी के नेतृत्व के कारण अंग्रेज काशीपुर को गोविन्दगढ़ कहती थी।

नाटककार और लेखक

गोविंद वल्लभ पंत एक अच्छे नाटककार है। उनका वरमाला नाटक जो मार्कण्डेय पुराण की एक कथा पर आधारित है। मेवाड़ की पन्ना नामक धाय के अलौकिक त्याग का ऐतिहासिक वृत लेकर राजमुकुट की रचना हुई है। अंगूर की बेटी मद्य में दुष्परिणाम दिखाने वाला सामाजिक नाटक है।

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