Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • गुजरात की चुनावी रणभूमि में बड़ा विस्फोट, होगी बाप और बेटे की टक्कर

गुजरात की चुनावी रणभूमि में बड़ा विस्फोट, होगी बाप और बेटे की टक्कर

गांधीनगर। आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में जहाँ कांग्रेस और भाजपा के बीच आम आदमी पार्टी ने चुनावी संतुलन बिगाड़ दिया है, वहीं दूसरी ओर भारतीय ट्राइबल पार्टी के संस्थापक छोटू भाई वासवा और उनके पुत्र महेश वसावा के बीच आपसी कलह ने गुजरात विधानसभा चुनावों में रोमांच पैदा कर दिया है। क्या है मामला? गुजरात […]

पिता पुत्र की हो सकती है चुनावी टक्कर
inkhbar News
  • Last Updated: November 14, 2022 13:03:23 IST

गांधीनगर। आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में जहाँ कांग्रेस और भाजपा के बीच आम आदमी पार्टी ने चुनावी संतुलन बिगाड़ दिया है, वहीं दूसरी ओर भारतीय ट्राइबल पार्टी के संस्थापक छोटू भाई वासवा और उनके पुत्र महेश वसावा के बीच आपसी कलह ने गुजरात विधानसभा चुनावों में रोमांच पैदा कर दिया है।

क्या है मामला?

गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर भारतीय ट्राइबल पार्टी के संस्थापक छोटू भाई वसावा ने आज सोमवार झागडिया(एसटी) सीट से नामांकन दाखिल करने की घोषणा कर दी है। लेकिन इस घोषणा को लेकर रोमांच पैदा हो गया है। छोटू भाई वसावा के पुत्र एवं भारतीय ट्राइबल पार्टी के अध्यक्ष महेश वसावा ने भी झागडिया सीट से नामांकन दाखिल करते हुए चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। महेश वसावा ने अपने कुछ क़रीबियों के साथ जाकर डिप्टी कलेक्टर के कार्यालय में नामांकन दाखिल कर दिया है। इस नामांकन की सूचना पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता को नहीं थी।

क्या प्रतिक्रिया है छोटू भाई की ?

इस नामांकन को लेकर छोटू भाई वसावा ने अपनी प्रतिक्रिया स्पष्ट कर दी है, उन्होंने कहा है कि, उन्होने महेश वसावा को झगाडिया सीट के मुद्दे सुलझाने का अधिकार दिया था। लेकिन उन्होने जाकर नामांकन दाखिल कर दिया। अगर महेश अपना नामांकन वापस नहीं लेते हैं तो गुजरात विधानसभा चुनावों में पहली बार पिता एवं पुत्र की टक्कर देखने को मिलेगी।

किसको होगा फायदा?

यदि पिता एवं पुत्र दोनों में से कोई भी नामांकन वापस नहीं लेता तो पार्टी में टूट संभव है जिसका फायदा सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी को होने का आसार है। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने के बाद भाजपा वैसे भी आत्मविश्वास से पूर्ण है, उसे लगता है कि, हमेशा के मुकाबले इस बार आदिवासी बहुल इलाकों में उसे सफलता मिलने के आसार हैं। यदि वसावा परिवार में टूट होती है तो आदिवासी वोट बंटने की संभावना अधिक हो जाएगी।