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कश्मीर में घरवापसी के लिए जुटे हजारों मुस्लिम! हाथ जोड़कर बोले- हमें सनातनी बनना है

श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. जिसे लेकर राज्य में सियासी हलचल बढ़ी हुई है. इस बीच इनखबर आपके लिए कश्मीर के इतिहास से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा लेकर आया है. इस किस्से में उस ऐतिहासिक घटना के बारे में बताएंगे जब हजारों मुस्लिम हिंदू धर्म […]

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  • Last Updated: September 16, 2024 18:45:17 IST

श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. जिसे लेकर राज्य में सियासी हलचल बढ़ी हुई है. इस बीच इनखबर आपके लिए कश्मीर के इतिहास से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा लेकर आया है. इस किस्से में उस ऐतिहासिक घटना के बारे में बताएंगे जब हजारों मुस्लिम हिंदू धर्म अपनाना चाहते थे, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके.

19वीं सदी की है यह घटना…

बता दें कि जिस घटना के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं वो 19वीं सदी है. उस वक्त कश्मीर में डोगरा राजवंश का शासन था. साल 1857 में राजा गुलाब सिंह की मौत के बाद उनके 26 वर्षीय बेटे रणवीर सिंह ने गद्दी संभाली. रणवीर काफी धार्मिक किस्म के इंसान थे. इतिहासकारों के मुताबिक महाराजा बनने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने राज्य में टूटे हुए मंदिरों को फिर से बनाने के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना कर दी.

इसके साथ ही उन्होंने अपनी देखरेख में मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाना शुरू कर दिया. महाराजा रणवीर सिंह की इस फैसले का असर ये हुआ कि श्रीनगर और उसके आस-पास के इलाकों में इस्लाम धर्म अपना चुके हजारों परिवारों ने फिर सनातन धर्म में वापसी की इच्छा जाहिर कर दी.

इस बीच एक दिन पुंछ, श्रीनगर और राजौरी के हजारों मुस्लिम राजमहल के बाहर इकट्ठा हुए. इस दौरान उन्होंने अपने मूल धर्म में वापस लौटने की बात कही. इसके बाद महाराजा ने राजदरबार के प्रमुख कश्मीरी पंडितों को बुलाया और उनके पूछा कि क्या ऐसा हो सकता है कि ये लोग अपने पुराने धर्म में वापस लौट आएं. हालांकि पंडितों ने एक सुर में इससे साफ इनकार कर दिया. जिसके बाद वे लोग दोबारा हिंदू धर्म नहीं अपना सके.

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