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लंच ब्रेक पर बाहर जाना बना महिला के नौकरी से निकाले जाने का सबब!

नई दिल्ली : किसी भी तरह के ऑफिस में काम करने के दौरान हम सभी लंच-ब्रेक के दौरान अपने दोस्तों और साथियों के साथ कैंटीन में जाकर खाने-पीने और गपशप का मज़ा लेते हैं। आमतौर पर यह बात एकदम सामान्य है मगर हाल ही में आई एक ख़बर ने मानों नौकरी पेशा लोगों को झकझोड़ […]

Tracy Sherwood got fired from her job just for the sake of having lunch
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  • Last Updated: December 15, 2022 17:53:22 IST

नई दिल्ली : किसी भी तरह के ऑफिस में काम करने के दौरान हम सभी लंच-ब्रेक के दौरान अपने दोस्तों और साथियों के साथ कैंटीन में जाकर खाने-पीने और गपशप का मज़ा लेते हैं। आमतौर पर यह बात एकदम सामान्य है मगर हाल ही में आई एक ख़बर ने मानों नौकरी पेशा लोगों को झकझोड़ कर रख दिया है।

क्या है महिला को नौकरी से बर्ख़ास्त करने का पूरा मामला?

ऐसी ख़बर मिल रही है कि इस महिला का नाम ट्रेसी शेरवुड है। ट्रेसी शेरवुड ब्रिटेन के वेस्ट मिडलैंड्स के डुडले के लीन एजुकेशन एंड डेवलेपमेंट नाम की कंपनी में काम कर रही थी। आम दिनों की तरह ट्रेसी शेरवुड अपने साथी कर्मचारियों के साथ दोपहर का खाना खाने बाहर गई थी। जब ट्रेसी शेरवुड के बाहर जाकर खाना खाने की बात कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर “मैक्सिन जोंस” को पता चली तो उन्हें यह बात बेहद नागवार गुज़री और वो पूरी तरह से इस मामले में ट्रेसी शेरवुड को गलत मानकर उनपर कार्यवाही करने का मन बना लिया।

क्या कहा इम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल ने इस पूरे मामले में?

इम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल ने इस पूरे मामले में सुनवाई की है। इस सुनवाई के दौरान कुछ अजीब बातों के बारे में ट्रिब्यूनल को पता चला। ट्रीब्यूनल के सामने मैनेजिंग डायरेक्टर मैक्सिन जोंस ने ट्रेसी पर इलज़ाम लगाया कि उनका पूरा व्यापार बुरे दौर से गुज़र रहा है, उन्हें इस मुश्किल की घड़ी में उनके सभी कर्मचारियों की मदद की ज़रुरत है। वो चाहती हैं कि सभी लोग लगन के साथ अपने कामों को पूरा करें ताकि उनकी कंपनी को बुरे दौर से निकाला जा सके, लेकिन ट्रेसी को कंपनी के ख़राब माली हालात से कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके मुताबिक ट्रेसी अपने काम के लिए ज़रा भी वफ़ादार नहीं हैं, और इसी बात को आधार मानते हुए उन्होंने ट्रेसी को कंपनी से बाहर निकाल दिया।

क्या रहा इम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल का फ़ैसला?

ट्रिब्यूनल ने अपनी जाँच के दौरान पाया कि सभी इलज़ाम बेबुनियाद हैं और ट्रेसी बेकसूर है। ट्रेसी पर हुए इस अन्याय के बदले उन्हें 12 लाख रुपयों का मुआवज़ा देने का आदेश भी दिया गया है।

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