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48 years of Emergency: न भूलने वाला दौर… इमरजेंसी की 48वीं बरसी पर PM मोदी का ट्वीट

नई दिल्ली: आज इंदिरा सरकार में लगाई गई इमरजेंसी को पूरे 48 साल बीत गए हैं. ये दिन भारतीय इतिहास में काले दिनों की तरह देखा जाता है जब 19 महीनों के लिए भारत पूरी तरह से बंद हो गया था. इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऐसे कई बड़े फैसले लिए जिस वजह […]

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  • Last Updated: June 25, 2023 11:28:19 IST

नई दिल्ली: आज इंदिरा सरकार में लगाई गई इमरजेंसी को पूरे 48 साल बीत गए हैं. ये दिन भारतीय इतिहास में काले दिनों की तरह देखा जाता है जब 19 महीनों के लिए भारत पूरी तरह से बंद हो गया था. इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऐसे कई बड़े फैसले लिए जिस वजह से इस दिन को भारतीय इतिहास में एक काले धब्बे की तरह देखा जाता है. इसी काले दिन को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया है.

 

साहसी लोगों को श्रद्धांजलि- पीएम मोदी

ट्वीट कर पीएम मोदी ने लिखा, मैं उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और हमारी लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए काम किया। इमर्जेंसी का काला दिन हमारे इतिहास में एक अविस्मरणीय अवधि है, जो हमारे संविधान द्वारा मनाए गए मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है. बता दें, इस दौरान पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में #DarkDaysOfEmergency हैशटैग का भी इस्तेमाल किया है.

 

आलोचना जैसी चीजों पर नकेल

25 जून, 1975 को आपातकाल लागू होने के बाद इंदिरा सरकार में कई फैसलों पर साइन किए गए जिसने सार्वजनिक रूप से सरकार की आलोचना करने वालों खासकर पत्रकारों पर नकेल कस दी थी. मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का ज़िक्र है कि इंदिरा गांधी ने एक समाचार चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने आपातकाल के दौरान एक कुत्ता नहीं भौंकने दिया था. वहीं विपक्षी राजनेताओं समेत एक लाख से अधिक लोगों को जेलों में डाल दिया गया था.

संगठनों पर प्रतिबंध

इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) जैसे 24 से अधिक संगठनों को देशविरोधी करार देते हुए उनपर प्रतिबंध लगा दिया गया था. 18 महीने और 28 दिनों तक यानी 23 जनवरी 1977 आपातकाल का प्रभाव रहा.

जनता और सरकार का टकराव

देश में इमरजेंसी लगने के 40 साल बाद भी ये मुद्दा क्यों प्रासंगिक है? इसका जवाब है बेलगाम करप्शन है. दरअसल, इंदिरा गांधी के दौर में जय प्रकाश नारायण ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, जिस पर अपेक्षित कार्रवाई तो नहीं हुई लेकिन इसके बाद जनता और सरकार का टकराव शुरू हो गया.