Firozabad Egg Offering Temple: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां की पूजा पद्धति और परंपराएं हर किसी को आश्चर्य में डाल देती हैं. बिलहना गांव में स्थित बाबा नगर सेन मंदिर में न तो फूल-माला और न ही मिठाई, बल्कि मुर्गी के कच्चे अंडे चढ़ाकर पूजा की जाती है. यह मंदिर विशेष रूप से संतान प्राप्ति और बच्चों की सेहत व सलामती के लिए प्रसिद्ध है. हर साल वैशाख माह में लगने वाला तीन दिवसीय मेला इस मंदिर की आस्था और परंपराओं को और भी खास बनाता है.

मुर्गी के कच्चे अंडों की अनोखी परंपरा

आमतौर पर मंदिरों में लहसुन, प्याज और मांसाहारी चीजें वर्जित होती हैं. लेकिन बाबा नगर सेन मंदिर में मुर्गी के कच्चे अंडे चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. श्रद्धालु मंदिर की मूर्ति पर या दीवारों पर अंडे फेंककर अपनी मन्नतें मांगते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों की बीमारियां दूर होती हैं और संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है. मंदिर के पुजारी जगन्नाथ दिवाकर बताते हैं ‘यह मंदिर हजारों साल पुराना है. हमारे बाबा और उनके बाबा के जमाने से यह परंपरा चली आ रही है. यहां हर साल हजारों लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.’

वैशाख माह में तीन दिवसीय भव्य मेला

हर साल वैशाख माह की अष्टमी से शुरू होने वाला तीन दिवसीय मेला इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है. इस मेले में फिरोजाबाद के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और अन्य राज्यों से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. मेले के दौरान मंदिर परिसर में पूड़ी, हलवा, लड्डू और अंडों का भोग चढ़ाया जाता है. कुछ श्रद्धालु बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराते हैं. मेला आयोजक हरि बाबू कहते हैं. ‘यह मेला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है. बाबा नगर सेन की कृपा से बच्चों की सलामती और संतान सुख की प्राप्ति होती है.’

संतान प्राप्ति और बच्चों की सेहत के लिए प्रार्थना

मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है बच्चों की सलामती और संतान प्राप्ति से जुड़ी मान्यता. पुजारी जगन्नाथ दिवाकर के अनुसार ‘विशेष रूप से महिलाएं अपने बच्चों की सेहत और सुरक्षा के लिए बाबा के दरबार में हाजिरी लगाती हैं. बच्चों को दस्त जैसी बीमारियों से मुक्ति दिलाने की मान्यता के चलते माता-पिता अपने बच्चों को लेकर आते हैं.’ जिन महिलाओं को संतान नहीं होती, वे भी बाबा नगर सेन से मन्नत मांगती हैं और मन्नत पूरी होने पर विशेष रूप से अंडे, पूड़ी और हलवे का भोग चढ़ाती हैं.

श्रद्धालुओं की अटूट आस्था

मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इस परंपरा को अपनी पीढ़ियों से चली आ रही आस्था का हिस्सा मानते हैं. स्थानीय निवासी आशीष वर्मा कहते हैं. ‘हमारे पूर्वज हमें बताते थे कि अंडा फोड़कर प्रसाद चढ़ाने से बच्चों की लंबी उम्र की कामना पूरी होती है. हम भी इस परंपरा को निभा रहे हैं.’ वहीं, सूरज नाम के एक श्रद्धालु ने बताया ‘हम यहां बच्चों की सलामती के लिए आए हैं. यह आस्था हमारे बाबा के जमाने से चली आ रही है. अंडा, हलवा, पूरी सब कुछ चढ़ाया जाता है.’

बिलहना गांव में मटसेना रोड पर स्थित यह मंदिर करीब 150 साल पुराना है. इसे दिवाकर समाज ने स्थापित किया था. मंदिर की स्थापना के बाद से ही वैशाख माह में मेला लगने की परंपरा शुरू हुई. जो आज भी बदस्तूर जारी है. मंदिर के पुजारी विनोद कुमार बताते हैं ‘यहां आने वाले लोग न केवल फिरोजाबाद से बल्कि दूर-दूर से अपनी मुराद लेकर आते हैं. मन्नत पूरी होने पर वे अंडे और अन्य प्रसाद चढ़ाते हैं.’ मंदिर की यह अनोखी परंपरा पहली बार आने वाले श्रद्धालुओं को चौंका देती है लेकिन उनकी आस्था को और मजबूत करती है.

क्यों खास है बाबा नगर सेन मंदिर?

बाबा नगर सेन मंदिर की खासियत उसकी अनोखी पूजा पद्धति और श्रद्धालुओं की अटूट आस्था में छिपी है. यहां न तो कोई भेदभाव है और न ही कोई जटिल नियम. साधारण तरीके से अंडे फेंककर या भोग चढ़ाकर लोग अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं. मंदिर में सैयद बाबा की भी पूजा होती है जिन्हें अंडे चढ़ाने की परंपरा है. यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है.

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