नई दिल्ली: इस समय यूज़र्स के बीच UPI पर चार्ज लगाने को लेकर बड़ी हलचल है. बीते दिनों खबर थी कि 2000 से अधिक UPI पेमेंट पर अब चार्ज लेना शुरू किया जाएगा हालांकि बाद में NPCI ने ये साफ़ कर दिया था कि फिलहाल इस तरह का कोई इरादा नहीं है. लेकिन अब सरकार द्वारा IIT बंबई की एक शिफारिश पर विचार किया जा रहा है.
दरअसल जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की फंडिंग और UPI पेमेंट सिस्टम की वित्तीय मजबूती तय करने के लिए सरकार ट्रांजेक्शंस पर 0.3 फीसदी एकसमान डिजिटल भुगतान सुविधा शुल्क लगा सकती है. IIT बंबई ने एक स्टडी के बाद सरकार से इसकी सिफारिश की है. इस बात का ज़िक्र ‘चार्जेस फॉर पीपीआई बेस्ड यूपीआई पेमेंट्स- द डिसेप्शन’ नाम से प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार 0.3 फीसद शुल्क से 2023-24 में करीब 5,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं. हालांकि मोबाइल वॉलेट के जरिए होने वाले भुगतान पर इंटरचेंज फीस लगाने के NPCI के फैसले को लेकर किये गए विश्लेषण में कहा गया है कि दुकानदारों को मिलने वाली पेमेंट पर कोई भी शुल्क नहीं लगाना चाहिए. भले ही UPI के जरिए भुगतान हो या प्रीपेड ई-वॉलेट के माध्यम से.
फिलहाल मौजूदा कानून के अनुसार बैंक या कोई दूसरी UPI सर्विस पर किसी भी तरह का भुगतान नहीं लिया जाता है. हालांकि बैंक और प्रणाली प्रदाताओं ने कई मौकों पर UPI कानून की अपनी सुविधा से व्याख्या करने की कोशिशें की हैं. गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा था कि अर्थव्यवस्था इस समय बहुत ही ज़्यादा औपचारिक हो गई है. EPFO की सदस्यता अब 27 करोड़ हो गई है. UPI के जरिए 2022 में 126 लाख करोड़ रुपये के 7,400 करोड़ डिजिटल भुगतान प्राप्त हुए थे. इससे कई मायनों में सरकार और देश को फायदा पहुंचता है. बता दें, इससे मैनेजमेंट पर प्रिंटिंग का खर्चा भी कम होता है. नकदी की लागत घटने से यदि बचत का कुछ हिस्सा UPI इकोसिस्टम को आगे बदहाने के लिए इस्तेमाल किया जाए तो ये भी बड़ी बात होगी.
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