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Uttarakhand: चमोली में मूसलाधार बारिश ने मचाई तबाही, पीपलकोटी में गाड़ियां मलबे में फंसी, जोशीमठ-औली में भी संकट

उत्तराखंड के चमोली जिले में 19 मई 2025 को मई महीने की असामान्य मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई। पीपलकोटी के पास मंगनी गदेरा नाला उफान पर आने से बद्रीनाथ हाईवे पर भूस्खलन हुआ, जिसमें तीन गाड़ियां मलबे में फंस गईं। जोशीमठ और औली जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों पर भी बारिश का रौद्र रूप देखने को मिला, जिससे स्थानीय लोग और पर्यटक दहशत में हैं। जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं, लेकिन नुकसान की आशंका बनी हुई है।

Chamoli heavy rain 2025
inkhbar News
  • Last Updated: May 19, 2025 21:33:54 IST

उत्तराखंड के चमोली जिले में 19 मई 2025 को मई महीने की असामान्य मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई। पीपलकोटी के पास मंगनी गदेरा नाला उफान पर आने से बद्रीनाथ हाईवे पर भूस्खलन हुआ, जिसमें तीन गाड़ियां मलबे में फंस गईं। जोशीमठ और औली जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों पर भी बारिश का रौद्र रूप देखने को मिला. जिससे स्थानीय लोग और पर्यटक दहशत में हैं। जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं लेकिन नुकसान की आशंका बनी हुई है।

गाड़ियां मलबे की चपेट में

चमोली के पीपलकोटी में सोमवार शाम करीब 4:30 बजे मंगनी गदेरा नाले में अचानक उफान आ गया। भारी बारिश के साथ पहाड़ों से मलबा और पानी बहकर बद्रीनाथ हाईवे पर आ गया. जिससे तीन गाड़ियां मलबे में दब गईं। राहत की बात यह रही कि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई। स्थानीय पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकाला।

जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया पीपलकोटी में मंगनी गदेरा के उफान से हाईवे पर यातायात पूरी तरह ठप हो गया। मलबा हटाने के लिए जेसीबी मशीनें लगाई गई हैं और रास्ता जल्द बहाल करने की कोशिश की जा रही है। बद्रीनाथ चारधाम यात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है, जिससे तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ठहराया गया।

जोशीमठ और औली में बारिश का कहर

जोशीमठ जो बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और औली जैसे पर्यटक स्थलों का प्रवेश द्वार है. जोशीमठ में भी भारी बारिश ने हालात बिगाड़ दिए। औली के प्रसिद्ध स्कीइंग स्लोप्स और रोपवे क्षेत्र में पानी भर गया. जिससे पर्यटकों की आवाजाही प्रभावित हुई। जोशीमठ में कई जगहों पर सड़कों पर मलबा जमा हो गया और स्थानीय लोगों ने घरों में पानी घुसने की शिकायत की।

जोशीमठ पहले से ही भू-धंसाव (सब्सिडेंस) की समस्या से जूझ रहा है। 2023 में यहां 600 से ज्यादा घरों में दरारें आ गई थीं, और एक मंदिर ढह गया था। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि हिमालयी क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी पर अनियोजित निर्माण और भारी पर्यटन दबाव इस तरह की आपदाओं को बढ़ावा दे रहा है।

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