Varanasi ropeway project: वाराणसी में बन रही देश की पहली शहरी रोपवे परियोजना का काम उस समय अचानक रोकना पड़ा, जब गोदौलिया चौराहे पर पिलर खोदते समय पाइलिंग मशीन जमीन के नीचे मुगलकालीन शाही सुरंग से टकरा गई। परियोजना के ब्लूप्रिंट में यह सुरंग दर्ज नहीं थी।
QS World University 2026 रैंकिंग में बजा भारत का डंका, रिकॉर्ड 54 संस्थानों ने बनाई लिस्ट में जगह, पीएम मोदी ने बताया गौरव का क्षण
जमीन से 25 फीट नीचे मिली ‘सुरंग’
जमीन से करीब 25 फीट नीचे स्थित इस सुरंग को आज ‘शाही नाला’ कहा जाता है, जिसमें वर्तमान में सीवेज बहता है। मशीन से गलती से सुरंग यानी शाही नाले की दीवार क्षतिग्रस्त होते ही सीवेज का पानी ऊपर आने लगा और आसपास की इमारतों के लिए खतरा बढ़ गया। इस सुरंग के बारे में एनएचएआई की निर्माण एजेंसी को भी जानकारी नहीं थी, क्योंकि नगर निगम और जलकल विभाग ने इस संदर्भ में कोई जानकारी शेयर नहीं की थी। ऐसे में पिलर-29 की खुदाई करते समय यह बड़ी चूक सामने आई।
कई इमारतों को तुरंत खाली करने का जारी हुआ नोटिस
घटना के बाद प्रशासन सतर्क हो गया और आसपास की छह इमारतों को खाली करने का नोटिस जारी कर दिया गया है। यह कदम सुरक्षा के मद्देनजर उठाया गया है, ताकि वहां रहने वाले लोगों को किसी भी अप्रिय घटना से बचाया जा सके। इस ऐतिहासिक सुरंग का निर्माण मुगल काल में हुआ था, जिसकी खासियत यह है कि इसमें से एक साथ दो हाथी गुजर सकते थे। इसे अंग्रेजों ने 1827 में लखौरी ईंटों और बारी मसाले से सीवेज सिस्टम के तौर पर विकसित किया था।
कई इलाकों के नीचे से बहता है 24 किलोमीटर लंबा शाही नाला
शाही नाले की लंबाई करीब 24 किलोमीटर बताई जाती है, जो अस्सी से कोनिया तक फैला है और शहर के कई पुराने इलाकों जैसे भेलूपुर, गुरुबाग, चौक और मछोदरी को पार करता है। मौके पर मौजूद अधिकारी ने बताया कि भारी मशीनों के कंपन से आसपास की इमारतों को खतरा हो सकता है। इसलिए तत्काल प्रभाव से काम रोक दिया गया है। आगे कोई समाधान निकालने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
कई मकान, दुकानें और होटल चपेट में आए
वहीँ, इस घटना के बाद स्थानीय लोगों की दिक्कतें काफी बढ़ गई है, क्योंकि कई मकान और दुकानें अचानक ‘अप्रशिक्षित संरचनाओं’ की श्रेणी में आ गई हैं। गोदौलिया क्षेत्र में एक होटल को खाली करने का नोटिस भी चिपकाया गया है। शाही नाले के नक्शे नगर निगम या जलकल विभाग के पास नहीं हैं, जिससे फ्यूचर में निर्माण कार्य के दरम्यान ऐसी स्थिति फिर से पैदा होने की संभावना है। वहीँ, विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे ऐतिहासिक अवशेषों की पहचान कर उन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए।
Disclaimer: लेख में दी गई यह जानकारी सामान्य स्रोतों से एकत्रित की गई है। हम इसकी प्रामाणिकता के लिए (इनखबर) जिम्मेदार नहीं हैं।
Benefits of Pineapple अनानास के फायदे