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जानें कैसे एक गलती से न्यू जलपाईगुड़ी में हुआ इतना बड़ा हादसा

न्यू जलपाईगुड़ी. पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में मालगाड़ी द्वारा कंचनजंगा एक्सप्रेस में पीछे से टक्कर मारने को लेकर कोहराम मचा है. अभी तक इस हादसे में 15 लोगों की दर्दनाक मौत और 36 के घायल होने की खबर है. इस घटना ने ठीक एक साल पहले उड़ीसा के बालासोर में हुई भीषण हादसे की […]

Kanchanjunga Express Train Accident
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  • Last Updated: June 17, 2024 17:32:32 IST

न्यू जलपाईगुड़ी. पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में मालगाड़ी द्वारा कंचनजंगा एक्सप्रेस में पीछे से टक्कर मारने को लेकर कोहराम मचा है. अभी तक इस हादसे में 15 लोगों की दर्दनाक मौत और 36 के घायल होने की खबर है. इस घटना ने ठीक एक साल पहले उड़ीसा के बालासोर में हुई भीषण हादसे की याद दिला दी है जिसमें लगभग 300 लोग मारे गये थे. उस हादस में भी सिग्नल जंप किया गया था.

ऐसे काम करता है रेलवे का सिस्टम

न्यू जलपाईगुड़ी में सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी जिसकी वजह से बोगियां हवा में उछल गईं और पटरी से उतर गई. बालासोर की तरह इस हादसे में भी एक ही ट्रैक पर दो ट्रेन आ गई. आखिर किसकी गलती से ऐसा होता है और कैसे दो ट्रेन एक ट्रैक पर आ जाती है.

सिग्नल फॉल्ट या इंलेक्टॉनिक इंटरलॉकिंग चेंज में चूक

एक ट्रैक पर दो ट्रेन के आने और भिड़ने का कारण अक्सर सिग्नल फॉल्ट या इंलेक्टॉनिक इंटरलॉकिंग चेंज में कोई चूक होती है. रेलवे में ट्रेन के रुट के हिसाब से इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम सेट होता है, जिसकी वजह से कई ट्रेनों के एक साथ आने के बावजूद हर ट्रेन अलग ट्रैक पर होती है और दुर्घटना नहीं होती है. रेलवे ट्रैक में इलेक्ट्रिकल सर्किट इंस्टॉल किये जाते हैं और जैसे ही ट्रेन ट्रैक सेक्शन पर आती है तो इस सर्किट के जरिए ट्रेन के आगमन का पता चल जाता है.

स्विच के जरिए किया जाता है ट्रैक चेंज

जानकारी मिलते ही ट्रैक सर्किट इसकी जानकारी आगे फॉरवर्ड करता है और इसके आधार पर ईआईसी कंट्रोल सिग्नल को कंट्रोल कर लेता है. तकनीक के ईस दौर में कंट्रोल रुम से ही ट्रेन का रुट तय कर दिया जाता है. लेकिन, कई बार तकनीकी कारणों से या फिर मानवीय गलती की वजह से ट्रैक चेंज नहीं हो पाता है और एक ही ट्रैक पर दो ट्रेन आ जाती है जो बड़ी दुर्घटना की वजह बन जाती है. दो पटरियों के बीच एक स्विच होता है, जिससे दोनों पटरियां एक दूसरे जु़ड़ी हुई होती हैं.

बालासोर में भी यही गलती हुई थी

जब ट्रेन के ट्रैक को बदलना होता है तो कंट्रोल रूम में बैठा कर्मचारी कमांड मिलने के बाद पटरियों पर लगें स्विच से ट्रेन की मूवमेंट को मोड़ते हैं और पटरियां चेंज हो जाती हैं. बालासोर में भी सिग्नल जंप करने और ट्रैक समय पर न चेंज होने की वजह से भीषण ट्रेन दुर्घटना हुई थी और न्यू जलपाईगुड़ी में भी ऐसा ही हुआ. मालगाड़ी के लोको पायलट ने सिग्नल जंप कर उसी पटरी पर ट्रेन दौड़ा दी जिस पर कंचनजंगा एक्सप्रेस खड़ी थी. पीछे से जोरदार टक्कर लगी जिसकी वजह से कंचनजंगा के कई डिब्बे हवा में उछल गये और 15 लोग मारे गये और काफी संख्या में लोग घायल हो गये.

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