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क्या है भूस्खलन, जिसकी वजह से वायनाड में गई 119 लोगों की जान, किन-किन राज्यों में इसका खतरा

नई दिल्ली: केरल के वायनाड में भारी बारिश के कारण चार अलग-अलग जगहों पर भूस्खलन हुआ है। यह भूस्खलन इतना भयानक था कि इसमें चार गांव बह गए। घर, पुल, सड़कों और गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा। इस हादसे में अब तक 119 लोगों की मौत हो चुकी है और 116 लोग घायल हुए हैं। […]

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  • Last Updated: July 30, 2024 17:19:11 IST

नई दिल्ली: केरल के वायनाड में भारी बारिश के कारण चार अलग-अलग जगहों पर भूस्खलन हुआ है। यह भूस्खलन इतना भयानक था कि इसमें चार गांव बह गए। घर, पुल, सड़कों और गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा। इस हादसे में अब तक 119 लोगों की मौत हो चुकी है और 116 लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका है।

वायनाड में क्यों हुआ भूस्खलन?

केरल में भूस्खलन का सबसे बड़ा कारण वेस्टर्न घाट के नजदीक होना है। वायनाड में हुए भूस्खलन का मुख्य कारण यही बताया जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी घाट का 1500 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र भूस्खलन के खतरे में है। इसमें वायनाड समेत कोझिकोड, इडुक्की और कोट्टायम जिले शामिल हैं। पश्चिमी घाट में लगभग 8% क्षेत्र की पहचान भूस्खलन के खतरों के रूप में की गई है। पश्चिमी घाट में तीव्र ढलान है और मानसून के मौसम के दौरान भारी बारिश से मिट्टी संतृप्त हो जाती है। संतृप्त मिट्टी वह होती है जो ज्यादा तरल को अवशोषित नहीं कर सकती। इसलिए, बारिश के मौसम में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ जाती हैं।

केरल में भूस्खलन के पीछे कई कारण हैं जैसे स्लोप फेलर (जब मिट्टी, चट्टान और मलबा अचानक नीचे की ओर गिरते हैं. भारी बारिश, मिट्टी की गहराई, भूकंप, बिजली की गड़गड़ाहट और मानव गतिविधियां. इन मानवीय कारकों में ढलान के सिरे पर खुदाई, जंगलों की कटाई और खनन शामिल हैं। हालांकि, भूस्खलन का ट्रिगरिंग फैक्टर बरसात बताई जाती है।

भूस्खलन क्या है?

भूस्खलन एक प्राकृतिक आपदा है, जो धरातली हलचल के कारण होती है। पहाड़ी क्षेत्रों से ढलानों, चट्टानों, मिट्टी और कीचड़-मलबा का अचानक तेज बहाव आता है या वे नीचे गिरते व खिसकते हैं, तो इसे भूस्खलन कहा जाता है। ये घटनाएं आमतौर पर भारी बारिश, बाढ़, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट या फिर मानवीय गतिविधियों के कारण होती हैं। देश में हर साल भूस्खलन की 20-30 बड़ी घटनाएं दर्ज की जाती हैं।

भूस्खलन के प्रमुख कारण

1. भारी बारिश: लगातार तेज बारिश से मिट्टी गीली हो जाती है और ढलानों पर मिट्टी कमजोर हो जाती है। मिट्टी में जल धारण करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे पानी का दबाव बढ़ जाता है और ढलान कमजोर होकर खिसक जाते हैं, जो नीचे आकर तबाही मचाते हैं।
2. भूकंप: जब तेज भूकंप आता है तो भूमि की स्थिरता प्रभावित होती है, जिससे ढलान खिसकने लगते हैं।
3. मानवीय गतिविधियां: विकास के नाम पर पहाड़ी क्षेत्रों में वनों की कटाई कर निर्माण कार्य और खनन करने के चलते भी भूमि की स्थिरता प्रभावित होती है. जिससे भूस्खलन होने की आशंका बढ़ जाती है। ढलान के ऊपर मौजूद भारी सामग्री भी गुरुत्वाकर्षण के कारण खिसक सकती है।

सबसे ज्यादा किन राज्यों में होती है?

देश में भूस्खलन की ज्यादातर घटनाएं हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, और केरल जैसे पहाड़ी राज्यों में होती हैं।

अब तक की प्रमुख घटनाएं

1. केदारनाथ त्रासदी:2013 में उत्तराखंड बाढ़ और भूस्खलन के चलते करीब 6,000 लोगों की मौत हुई थी और भारी आर्थिक नुकसान हुआ था।

2. इडुक्की भूस्खलन: 2020 में केरल के इडुक्की जिले में भारी बारिश के चलते हुए भूस्खलन से करीब 70 लोगों की मौत हुई थी और व्यापक तौर पर संपत्ति का भी नुकसान हुआ था।

3. किन्नौर भूस्खलन: 2021 में हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में अचानक हुए भूस्खलन से 28 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और कई दिनों तक यातायात बाधित रहा था.

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