Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • स्पीकर चुनाव में विपक्ष ने NDA के ओम बिड़ला को हरा दिया तो क्या होगा?

स्पीकर चुनाव में विपक्ष ने NDA के ओम बिड़ला को हरा दिया तो क्या होगा?

नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन स्पीकर चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खींचतान देखने को मिली. विपक्ष ने एनडीए के स्पीकर उम्मीदवार ओम बिड़ला को अपना समर्थन देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति ना पाने की वजह से अब […]

(Lok Sabha Speaker Election)
inkhbar News
  • Last Updated: June 25, 2024 15:57:38 IST

नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन स्पीकर चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खींचतान देखने को मिली. विपक्ष ने एनडीए के स्पीकर उम्मीदवार ओम बिड़ला को अपना समर्थन देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति ना पाने की वजह से अब लोकसभा अध्यक्ष के लिए चुनाव होगा. एनडीए उम्मीदवार ओम बिड़ला के सामने विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद के. सुरेश प्रत्याशी होंगे.

आइए जानते हैं कि स्पीकर चुनाव कैसे होता है, स्पीकर की ताकत क्या होती है और अगर विपक्ष ने सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को हरा दिया तो क्या होगा…

जानें कैसे होता है स्पीकर चुनाव

बता दें कि लोकसभा स्पीकर को साधारण बहुमत से चुना जाता है. सांसद अपने वोट के जरिए दो सांसदों को स्पीकर और डिप्टी स्पीकर चुनते हैं. हालांकि, अभी तक की परपंरा बिना चुनाव के सहमति के आधार पर स्पीकर चुनने की रही है. लेकिन अब वोट के जरिए स्पीकर को चुना जाएगा. ऐसे में अब कल यानी 26 जून को चुनाव के दौरान लोकसभा में मौजूद आधे से अधिक सांसद जिस उम्मीदवार को वोट देंगे वही लोकसभा का स्पीकर बनेगा.

स्पीकर के पास कितनी ताकत?

लोकसभा स्पीकर की ताकत की बात करें तो उसके पास सदन के नियमों के हिसाब से किसी भी सांसद पर दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार है. इसके साथ ही सदन में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अनुमति भी स्पीकर ही प्रदान करता है. इसके अलावा स्पीकर ही यह फैसला करता है कि कौन सांसद सदन में कहां पर बैठेगा. स्पीकर ही सीट अरेंजमेंट तय करता है.

विपक्ष ने स्पीकर चुनाव जीता तो..

स्पीकर चुनाव में विपक्ष के जीतने की संभावना ना के बराबर है. क्योंकि स्पीकर का चुनाव साधारण बहुमत के आधार पर होता है और सत्ताधारी गठबंधन- NDA के पास लोकसभा में बहुमत 272 से 21 से ज्यादा यानी 293 सांसदों का समर्थन है. वहीं, अगर सत्तापक्ष का उम्मीदवार स्पीकर चुनाव हारता है तो ये माना जाएगा कि सरकार के पास लोकसभा में बहुमत नहीं है. ऐसे में ये नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 के लिए नैतिक हार होगी.

यह भी पढ़ें-

स्पीकर चुनाव: राजनाथ ने खड़गे, स्टालिन सबको फोन किया, राहुल बोले- समर्थन कर देता लेकिन…