नई दिल्ली : RBI के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दस अब प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव-2 नियुक्त लिए गए हैं।शनिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने इस पद पर उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. इससे पहले पीके मिश्रा 11 सितंबर 2019 से पीएम के प्रधान सचिव हैं।अब शक्तिकांत दास और पीके मिश्रा मिलकर प्रधानमंत्री कार्यालय में कई अहम जिम्मेदारियां निभाएंगे. सवाल यह है कि शक्तिकांत दास को इतनी महत्ता क्यों और प्रधान सचिव के तौर पर उनकी क्या जिम्मेदारियां होंगी ? आइये जानते हैं…
शक्तिकांत दास का जन्म 26 फरवरी 1957 को ओडिशा के भुवनेश्वर में हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से लेकर ब्रिटेन की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी तक पढ़ाई की है। बाद में दास ने सिविल सेवा परीक्षा पास की और आईएएस बन गए। नौकरशाही में अपने 40 साल से भी लंबे करियर में शक्तिकांत दास ने तमिलनाडु सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक अहम जिम्मेदारियां संभालीं।
तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के आईएएस अधिकारी शक्तिकांत दास दिसंबर 2018 में केंद्रीय बैंक के गवर्नर बने थे। वह पिछले साल दिसंबर में वे सेवानिवृत्त हुए थे। वित्त मंत्रालय में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान वे आठ केंद्रीय बजट की तैयारी में सीधे तौर पर शामिल रहे। कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के बाद दास ने आरबीआई का नेतृत्व किया और रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान मौद्रिक नीति को लेकर कई कड़े फैसले लिए, जिसकी वजह से भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में रही।
RBI गवर्नर के तौर पर इन उपलब्धियों की वजह से शक्तिकांत दास को अमेरिकी पत्रिका ग्लोबल फाइनेंस ने तीन बार दुनिया का सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय बैंकर चुना। इनमें से उन्हें लगातार दो बार यह सम्मान मिला। उन्हें 2024 ग्लोबल फाइनेंस सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड में A+ रेटिंग दी गई।
नोटबंदी और जीएसटी के समय जमीनी स्तर पर काम किया। नवंबर 2016 में जब सरकार ने अचानक 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए थे, तब शक्तिकांत दास आर्थिक मामलों के सचिव थे। इस तरह नोटबंदी की पूरी प्रक्रिया के दौरान उनकी अहम भूमिका रही। नोटबंदी की बहुत आलोचन हुई थी।
हालांकि, दास ने इस फैसले का बचाव किया और धीरे-धीरे सामान्यीकरण के लिए अभियान जारी रखा। शक्तिकांत दास ने विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को एक जीएसटी में विलय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह निर्णय 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था। दास ने जीएसटी के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ समन्वय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सरप्लस ट्रांसफर के मुद्दे पर आरबीआई और सरकार के बीच तनातनी के बाद तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे से बाजार में हलचल मच गई थी। मिंट स्ट्रीट ऑफिस का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद दास ने अपने प्रयासों से बाजार का भरोसा बहाल किया। उन्होंने न केवल बाजार की चिंताओं को दूर किया बल्कि सरकार के साथ सरप्लस ट्रांसफर से जुड़े मुद्दों को भी कुशलतापूर्वक सुलझाया।
दास के आरबीआई गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने के बामुश्किल एक साल बाद, कोविड ने दुनिया को जकड़ लिया। एक प्रमुख आर्थिक नीति निर्माता के रूप में, दास को लॉकडाउन के कारण होने वाले व्यवधानों को प्रबंधित करने में चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ा। उन्होंने नीतिगत रेपो दर को 4 प्रतिशत के ऐतिहासिक निम्न स्तर पर लाने का विकल्प चुना, जिससे लगभग दो वर्षों तक कम ब्याज दर व्यवस्था जारी रही, ताकि लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित अर्थव्यवस्था को मदद मिल सके।
शक्तिकांत दास के RBI गवर्नर बनने के बाद से RBI की स्वायत्तता का मुद्दा फिर से सुर्खियों में नहीं आया है। दास अपने सहकर्मियों और मीडिया के साथ भी स्पष्ट और संवादशील रहे हैं। वह आम सहमति बनाने वाले व्यक्ति हैं जिन्होंने दिल्ली के साथ अपने संचार चैनलों को जीवंत बनाए रखा है। इस साल की शुरुआत में, केंद्रीय बैंक ने सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक लाभांश दिया।
शक्तिकांत दास को जो पद दिया गया है, उसके तहत वह सीधे प्रधानमंत्री मोदी से जुड़े रहेंगे। यह पद पीएम के निजी सचिव के पद जैसा है। यानी शक्तिकांत दास अब पीके मिश्रा के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव-2 के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे।
प्रधान सचिव प्रधानमंत्री को घरेलू मामलों से लेकर विदेश नीति तक के मामलों पर सलाह देते हैं। इसके अलावा वह प्रधानमंत्री के निर्देश पर अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों के कामकाज पर भी नज़र रखते हैं।
प्रधान सचिव पीएमओ में आने वाले दस्तावेज़, कार्यक्रमों और अधिकारियों के कामकाज का रिकॉर्ड भी रखते हैं। इसके अलावा वह प्रधानमंत्री को भेजी जाने वाली अलग-अलग मंत्रालयों की फाइलें और निर्देश सीधे पीएम तक पहुंचाने का काम भी करते हैं।
कैबिनेट मंत्री का दर्जा
आमतौर पर इस पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी ही नियुक्त होते हैं। 2019 से पीएम के प्रधान सचिव को कैबिनेट मंत्री के बराबर का दर्जा मिला हुआ है।कहा जाता है कि प्रधानमंत्री के लिए निजी सचिव की नियुक्ति की शुरुआत लाल बहादुर शास्त्री ने की थी। बाद में इंदिरा गांधी ने आधिकारिक तौर पर इसे प्रधान सचिव का पद बना दिया। इस तरह पीएन हक्सर प्रधानमंत्री के पहले प्रधान सचिव बने।
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