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इंदिरा गांधी के ये दो शर्ते जिसे अमेरिका के राष्ट्रपति भी मानने को हुए मजबूर

जब पीएम बनकर पहली बार इंदिरा गांधी फूड एड के लिए 1966 में अमेरिका पहुंची तो अमेरिकी प्रेसीडेंट को उनकी दो शर्तें माननी पड़ीं. हालांकि इन शर्तों को मानने के पीछे कोई दवाब नहीं था. दरअसल इंदिरा गांधी ने अमेरिका पहुंचते ही लाइफ मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा मुझे मैडम प्राइम मिनिस्टर सुनना पसंद नहीं

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  • Last Updated: November 9, 2017 22:27:55 IST

नई दिल्ली: जब पीएम बनकर पहली बार इंदिरा गांधी फूड एड के लिए 1966 में अमेरिका पहुंची तो अमेरिकी प्रेसीडेंट को उनकी दो शर्तें माननी पड़ीं. हालांकि इन शर्तों को मानने के पीछे कोई दवाब नहीं था. दरअसल इंदिरा गांधी ने अमेरिका पहुंचते ही लाइफ मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा मुझे मैडम प्राइम मिनिस्टर सुनना पसंद नहीं. तो अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन जोन्सन ने भारतीय राजदूत बीके नेहरू से संदेश भेजकर पूछा कि आपकी पीएम को क्या सम्बोधित किया जाए? बीके नेहरू ने इंदिरा से डिसकस किया, तब इंदिरा ने उस जवाब को टाला कि मैडम प्राइम मिनिस्टर, प्राइम मिनिस्टर या यॉर एक्सीलेंसी कहने में ऐसी बड़ी परेशानी नहीं… और तुम उन्हें बता सकते हो कि मेरे केबिनेट सहयोगी मुझे ‘सर’ कहते हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए ये वाकई दिलचस्प जानकारी थी. हालांकि उन्होंने बातचीत में इंदिरा को मैडम प्राइम मिनिस्टर कहने से परहेज ही किया. एक शाम को प्रेसीडेंट ने इंदिरा के सम्मान में एक पार्टी रखी, जहां बाद में डांस करने का प्रोग्राम भी था. लेकिन जैसे ही इंदिरा को पता लगा इंदिरा ने ये कहकर मना कर दिया कि अगर वो प्रेसीडेंट के साथ डांस करेंगी तो भारतीय जनता के बीच क्या मैसेज जाएगा. अमेरिकी राष्ट्रपति इसमें भी कुछ कर नहीं सकते थे.

बाद में अमेरिका ने वो फूड मदद के जरिए भारत को कंट्रोल करने की कोशिश की, अगले साल मानसून फिर फेल हो गया, इंदिरा ने भी गेंहू चावल खाना बंद कर दिया, इंडिया के मैप को ऑफस में टांगकर हर शिप का लोकेशन चैक करती थीं कि किसी पोर्ट पर पहुंचा, उसके बाद वो जुट गई हरित क्रांति में, 6 जून 1966 को रुपए का अवमूल्यन का ऐलान भी कर दिया, आखिरी वक्त में कामराज को बताया, वो नाराज हो गए. इंदिरा को रुपए के अवमूल्यन की बात मानने पर क्या क्या भुगतना पड़ा, जानने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो, विष्णु शर्मा के साथ.

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