CJI Sanjiv Khanna News: वक्फ कानून जिसे संसद और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू किया गया. अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के घेरे में है. सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. इसके अलावा एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को विधेयकों पर फैसला लेने के लिए 90 दिन का समय दिया था. राष्ट्रपति के लिए दिये गये फैसले को लेकर सबसे पहले उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने और उसके बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे व दिनेश शर्मा ने सीधे सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई संजीव खन्ना पर वार किया जिसको लेकर विवाद गहरा गया है.
इस फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सांसद निशिकांत दुबे ने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा ‘इस देश के सभी गृह युद्धों के लिए संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं. सुप्रीम कोर्ट धार्मिक युद्ध भड़काने का काम कर रहा है और अपनी सीमाओं को लांघ रहा है.
निशिकांत दुबे ने सवाल उठाया कि क्या सुप्रीम कोर्ट अब राष्ट्रपति और संसद को निर्देश देगा? उन्होंने कहा कि अगर हर मुद्दे पर न्यायपालिका ही फैसला करेगी, तो संसद और विधानसभा को बंद कर देना चाहिए.
जस्टिस संजीव खन्ना ने 11 नवंबर 2024 को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी. उनका जन्म 14 मई 1960 को हुआ था और उन्होंने दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त की. दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1983 में उन्होंने वकालत की शुरुआत की.
करीब 14 वर्षों तक वे दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश रहे और 18 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने. उनके पिता दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे और मां सरोज खन्ना लेडी श्रीराम कॉलेज में हिंदी की प्रोफेसर थीं.
सीजेआई खन्ना कई बड़े संवैधानिक मामलों में निर्णायक भूमिका निभा चुके हैं. इनमें बिलकिस बानो केस, अरविंद केजरीवाल को जमानत, RTI पारदर्शिता, अनुच्छेद 370, VVPAT, और इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे मुद्दे शामिल हैं. साल 2023 में उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत तलाक से जुड़े एक ऐतिहासिक फैसले में भी योगदान दिया था.
दरअसल, सीजेआई खन्ना ने 8 अप्रैल को एक फैसले में कहा कि राज्यपाल के पास किसी विधेयक को अनिश्चितकाल तक रोके रखने का अधिकार नहीं है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति को किसी विधेयक पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होगा. इस आदेश से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई, खासकर बीजेपी खेमे में.
हालांकि बीजेपी ने निशिकांत दुबे के विवादित बयान से खुद को अलग कर लिया है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है यह भाजपा का स्टैंड नहीं है. पार्टी ने हमेशा न्यायपालिका और उसके फैसलों का सम्मान किया है. लेकिन इस पूरे प्रकरण ने न्यायपालिका और विधायिका के बीच संतुलन को लेकर बहस छिड़ गई है.
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