नई दिल्ली: भारतीय अपराध जगत में लॉरेंस बिश्नोई का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. यह कुख्यात गैंगस्टर साबरमती जेल में बंद होने के बावजूद संगठित अपराधों को अंजाम देने के लिए जाना जाता है. लेकिन अब उसके ‘मौन व्रत’ का रहस्य सुर्खियों में है. एक मौन व्रत, जिसके दौरान उसके गैंग के अपराधों में उछाल देखा जाता है.
कांड करने से पहले मौन व्रत
सूत्रों के मुताबिक साबरमती जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई ने एक बार फिर मौन व्रत रखा है. लॉरेंस बिश्नोई हर मंगलवार के अलावा नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक व्रत और मौन भी रखते हैं. इस मौन व्रत के दौरान वह न तो किसी ऑपरेशन में हिस्सा लेते हैं और न ही फोन का इस्तेमाल करते हैं. बताया जा रहा है कि लॉरेंस पिछले शुक्रवार से मौन व्रत पर हैं. वह 12 फरवरी को अपना अनशन तोड़ेंगे. इसी दिन लॉरेंस का जन्मदिन भी होता है यानी इस बार वह 13 दिनों के मौन व्रत पर हैं. जब भी लॉरेंस मौन व्रत पर जाता, उसके गिरोह ने बड़े-बड़े अपराध किए. बाबा सिद्दीकी हत्याकांड के दौरान भी वह जेल में मौन व्रत पर थे. नवरात्रि के दौरान भी लॉरेंस मौन व्रत रखता है और इस दौरान उसके गिरोह के अपराध बढ़ जाते हैं.
सुरक्षा एजेंसी अलर्ट
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नादिर शाह हत्याकांड की चार्जशीट में खुलासा किया था कि लॉरेंस ने साबरमती जेल के अंदर से तिहाड़ जेल में बंद हाशिम बाबा से मोबाइल फोन पर बात की थी. लॉरेंस बिश्नोई के जन्मदिन पर सोशल मीडिया पर उनके फॉलोअर्स के पोस्ट की बाढ़ आ गई है, जिससे उनके नेटवर्क की सक्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है. सरकारी एजेंसियां लॉरेंस बिश्नोई के मौन व्रत और उसके गैंग के बीच गहरे संबंधों की जांच कर रही हैं. सवाल उठता है कि क्या मौन व्रत के दौरान गिरोह को संकेत दिए जाते हैं? क्या ये अपराध छुपाने की रणनीति है? क्या जेल प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां इसे रोकने के लिए कोई कदम उठाएंगी? लॉरेंस बिश्नोई का ‘मौन व्रत’ अभी भी रहस्य बना हुआ है, लेकिन जांच एजेंसियां इस पर नजर बनाए हुए हैं.
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