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सूअर की किडनी लगवाने वाले की क्यों हुई मौत? यहां जानें कारण…

नई दिल्ली: अमेरिका से एक बहुत दुखद खबर सामने आ रही है. दरअसल यहां रिचार्ड स्लेमन की मौत हो चुकी है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये शख्स है कौन, तो मैं आपको बता दूं कि ये शख्स वहीं है, जिस को सूअर की किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी. वहीं मार्च में इनकी […]

Why did the person who got pig kidney transplant die? Know the reason here...
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  • Last Updated: May 15, 2024 18:19:44 IST

नई दिल्ली: अमेरिका से एक बहुत दुखद खबर सामने आ रही है. दरअसल यहां रिचार्ड स्लेमन की मौत हो चुकी है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये शख्स है कौन, तो मैं आपको बता दूं कि ये शख्स वहीं है, जिस को सूअर की किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी. वहीं मार्च में इनकी सर्जरी हुई थी और डॉक्टर ने उसे फिट बता दिया था, लेकिन हाल ही में उनकी मौत हो गई. बता दें कि इससे पहले भी डॉक्टर ने सूअर के अंगों को इंसानों के अंदर लगा चुके है. ये एक खास तरीका है, जिसमें कुछ डॉक्टर डिफिकेशन करके एनिमल ऑगर्न को इंसानों के अंदर लगा रहे है.

 

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने क्या कहा?

 

बता दें कि इसकी जरूरत इसलिए होती है, क्योंकि दुनिया में इंसानों की अंग में कमी देखी जा रही है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक डोनर के लोग अगर डोनर का इंतजार करते है तो, उन्हें काफी इंतजार करना पडता है और सालाना 50 हजार मौत होती हैं. हालात ये है कि आर्गन्स की कमी होने के वजह से आर्गनस का ब्लैक मार्केट हो रहा है. गरीब लोगों को पैसों का लालच देकर उसे भारी कीमत में बेचे जा रहे हैं.

 

ब्लैक मार्केट करने वाला कौन सा देश है?

 

आपको बता दें कि सबसे ज्यादा आर्गन का  ब्लैक मार्केट करने वाला देश ईरान है. ये दुनिया का अकेला देश है, जहां अंगों की खरीद और बिक्री करने के लिए लीगल कानून है. यही वजह है कि दूनिया के बहुत सारे लोग यहां आकर अपने अंगों को बेचते हैं. इंटरनेशनल ब्लैक मार्केट ऑर्गन ट्रेड की अक्सर बात होते ही रहती है, जहां गरीबों देशों के तस्कर अपने यहां से ऑर्गन्स को दूसरे देशों में बेच देते है, वहां के लोग इसे खरीद भी लेते है, क्योंकि उन्हें जरूरत होती हैं.

 

जेनेटिक मॉडिफिकेशन फेल कब होता है?

 

सुअर का ऑर्गन यानी की किडनी और दिल की बनावट इंसानों जैसी होती है. मसलन इसमें बल्ड का जो फलो होता है वो इंसानों की तरह होता है. सूअर की किडनी, उस खाने के साथ तालमेल बिठा सकती है, जो इंसान खाते हैं. इसके अलावा अगर हम सूअर को पालते है तो, उसमें जेनेटिक बदलाव करना थोड़ा दूसरे पशुओं की तुलना में आसान होता है. इतना सब करने के बाद भी जेनेटिक मॉडिफिकेशन फेल भी हो सकता है.

वहीं अगर ताजा मामला ले ले तो, इंसान में ट्रांसप्लांट से सूअर के अंदर 69 जीनोम एडिट किए गए थे. बता दें कि ऐसा इसलिए किया गया था कि मरीज का शरीर उसे स्वीकार कर ले. वहीं ऐसा करने के बाद भी मार्च में की गई सर्जरी के बाद भी मरीज की अचानक मौत हो जाती है.

 

ऑर्गन की कमी हो रही है

 

अब कुल मिलाकर, जोनो ट्रांसप्लांट जो है वो एक तरह की एक्सपेरिमेंटल सर्जरी है, जिसमें मरीज की जान भी जाने का डर होता है. लेकिन बस इतना है कि ऑर्गन की कमी होने की वजह से इसे भी विकल्प की तरह सोचा जाने लगा है. वैसे इसमें भी कई तरह के पेंच आ रहे हैं. जैसे की हमारे देश में हर तरह के धर्म के लोग रहते है.

वहीं कुछ लोग शायद इस जानवार का दिल या किडनी न लगाए. वैसे तो कई तरह के रुकावट भी हैं. पशु प्रेमी संस्थाएं है वो नाराज रहती हैं, दरअसल वो इस लिए नाराज रहते है कि क्योंकि वो, नहीं चाहते है कि जानवर को मारा जाए.

 

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