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हर बार हिंदुओं की ही सहनशीलता की परीक्षा क्यों… आदिपुरुष फिल्म पर इलाहाबाद HC की टिप्पणी

लखनऊ। फिल्म आदिपुरुष के आपत्तिजनक डायलॉग के मामले से जुड़ी याचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फिल्म को लेकर बड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि हर बार हिंदुओं की ही सहनशक्ति की परीक्षा क्यों ली जाती है? भगवान का शुक्र है कि उन्होंने (हिंदुओं ने) […]

(फिल्म आदिपुरुष-इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच)
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  • Last Updated: June 27, 2023 18:09:04 IST

लखनऊ। फिल्म आदिपुरुष के आपत्तिजनक डायलॉग के मामले से जुड़ी याचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फिल्म को लेकर बड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि हर बार हिंदुओं की ही सहनशक्ति की परीक्षा क्यों ली जाती है? भगवान का शुक्र है कि उन्होंने (हिंदुओं ने) किसी कानून को नहीं तोड़ा है.

निर्माताओं की आलोचना की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगवान राम और भगवान हनुमान समेत धार्मिक पात्रों को आपत्तिजनक तरीके से पेश करने पर आदिपुरुष फिल्म के निर्माताओं की कड़ी आलोचना की. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जो सज्जन हैं उन्हें हमेशा दबाना सही है क्या? यह तो अच्छा है कि यह एक ऐसे धर्म को लेकर है, जिसके मानने वालों ने फिल्म को लेकर पब्लिक ऑर्डर से जुड़ी प्राब्लम क्रिएट नहीं की. इसके लिए हमें उनका बहुत आभारी होना चाहिए.

लोग कुछ भी कर सकते थे?

कोर्ट ने आगे कहा कि हमने खबरें पढ़ी हैं कि कुछ लोगों ने सिनेमा हॉल में जहां यह फिल्म प्रदर्शित हो रही थी, वहां जाकर हॉल को बंद करने के लिए मजबूर किया. वे इसके अलावा भी बहुत कुछ कर सकते थे. कोर्ट ने कहा कि ये याचिका इसी को लेकर है कि जिस तरह से यह फिल्म बनाई गई है. धार्मिक ग्रंथ ऐसे हैं, जो लोगों के लिए पूज्नीय हैं. बहुत सारे लोग घरों से निकलने से पहले रामचरित मानस को पढ़ते हैं. ऐसे में पूज्यनीय धार्मिक पात्रों को आपत्तिजनक तरीके से पेश करना गलत है.

समाज में क्या संदेश जाएगा?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने याचिकाकर्ता प्रिंस लेनिन और रंजना अग्निहोत्री की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि क्या सेंसर बोर्ड ने अपनी जिम्मेदारी सही से निभाई है? फिल्म निर्माता भगवान हनुमान और मां सीता को ऐसा दिखाकर समाज में क्या संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही सॉलिसटर जनरल से जवाब मांगते हुए बेंच ने कहा कि यह मामला गंभीर है. क्या आप सेंसर बोर्ड से यह पूछ सकते हैं कि यह कैसे किया गया? क्योंकि राज्य सरकार इस मामले पर कुछ नहीं कर सकती है.

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