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मुख्तार के साथ जेल में भी रह लेती थी पत्नी आफ्शा, अब पति का अंतिम दीदार भी नसीब नहीं

नई दिल्ली : एक समय था जब मुख्तार अंसारी का खौफ और दबदबा इतना था कि उनकी पत्नी आफ्शा अंसारी न सिर्फ उनसे रोज जेल में मिलने जाती थीं, बल्कि कभी-कभी अपने पति के साथ सलाखों के पीछे भी रहती थीं, लेकिन समय की धारा इतनी बदल गई कि पति की मौत के बाद आफ्शा […]

मुख्तार अंसारी
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  • Last Updated: March 30, 2024 07:57:25 IST

नई दिल्ली : एक समय था जब मुख्तार अंसारी का खौफ और दबदबा इतना था कि उनकी पत्नी आफ्शा अंसारी न सिर्फ उनसे रोज जेल में मिलने जाती थीं, बल्कि कभी-कभी अपने पति के साथ सलाखों के पीछे भी रहती थीं, लेकिन समय की धारा इतनी बदल गई कि पति की मौत के बाद आफ्शा अब उनकी लाश को आखिरी बार भी नहीं देख सकतीं.

अब पति का अंतिम दीदार भी नसीब नहीं

मुख्तार की दोस्ती महरूपुर निवासी अतीउर रहमान उर्फ ​​बाबू से थी. मुख्तार के घर से 5 किलोमीटर दूर स्थित अतीउर रहमान उर्फ के घर आना-जाना था. इसी दौरान मुख्तार की दोस्ती अतीउर रहमान की भतीजी आफ्शा अंसारी से हो गई, बाद में दोनों ने प्रेम विवाह कर लिया. मुख्तार अंसारी जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया और आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया है. बता दें कि अफ्शा भी अपने पति के साथ कदमताल करने लगी. 2005 में मुख्तार के जेल जाने के बाद आफ्शा ने उसका कारोबार संभाल लिया. दर्जन भर मुकदमे, 75 हजार का इनाम, लंबे समय से फरार... कहां है मुख्तार की  पत्नी अफशां अंसारी? - Where is Mukhtar Ansari wife Afshan Ansari absconding  for long time rewarded criminalबच्चों के बड़े होने के बाद उसने मुख्तार के आईएस-191 गैंग की कमान संभाली. दरअसल ऐसे हो गए हैं कि उनके खिलाफ गंभीर आरोपों के कुल 13 मामले दर्ज हो गए हैं. गाजीपुर पुलिस ने 50 रुपये और मऊ पुलिस ने 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है. हालांकि आफ्शा को गिरफ्तार करने के लिए जिले से पुलिस बल राजधानी स्थानांतरित कर दिया गया.

वाहनों के नंबर से ही माफिया के काफिले की पहचान

बता दें कि मुख्तार के काफिले के वाहनों के नंबर से ही माफिया के काफिले की पहचान हो जाती थी. वहां कई लोग अपना दर्द बयां करने के लिए जमा हो गए. मुख्तार गरीबों का दर्द सुनकर उन्हें ठीक करने वाले मसीहा बन गये. लोगों ने बताया कि मुख्तार के कारवां की लग्जरी कार का नंबर सिर्फ 786 था, जिससे कारवां की पहचान करना आसान हो गया. छुट्टियों के दिनों में जब वह नमाज अदा करके ईदगाह से बाहर निकलते थे तो उनसे हाथ मिलाने और उनके साथ फोटो खिंचवाने के लिए युवाओं की लंबी कतार लग जाती थी.

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