Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में शहीद हुए कानपुर के शुभम द्विवेदी की अस्थियां शनिवार को संगम के पावन तट पर विसर्जित की गईं. इस दौरान परिवार शुभचिंतक और स्थानीय लोग गम और गुस्से में डूबे नजर आए. शुभम की पत्नी एशान्या का रो-रोकर बुरा हाल था. जबकि पिता संजय द्विवेदी की आंखें नम थीं. संगम पर मौजूद हर शख्स ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया.
शनिवार दोपहर शुभम की अस्थियां लेकर परिवार संगम के वीवीआईपी घाट पहुंचा. प्रशासन ने फ्लोटिंग जेटी के जरिए सभी को संगम तक पहुंचाया. जैसे ही लोगों को पता चला कि पहलगाम हमले में शहीद शुभम की अस्थियां विसर्जन के लिए लाई गई हैं. स्नानार्थी, नाविक, तीर्थ पुरोहित और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में जुट गए. माला-फूल बेचने वाले और स्वच्छता कर्मियों ने भी अस्थि कलश पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. तीर्थ पुरोहित सोमेश्वर पांडेय और गणेश मिश्रा ने कर्मकांड संपन्न कराया. इस दौरान पुरोहितों ने आतंकियों की इस कायराना हरकत की कड़ी निंदा की.
संगम पर मौजूद हर चेहरे पर पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा साफ झलक रहा था. तीर्थ पुरोहितों ने आतंकियों को कायर बताते हुए कहा कि ऐसी हरकतें भारत की एकता को नहीं तोड़ सकतीं. शुभम के चचेरे भाई सौरभ द्विवेदी जिनका उसी दिन जन्मदिन था. रोते हुए बोले ‘आतंकियों ने हमारे परिवार को जो दुख दिया. उसका बदला ईश्वर जरूर लेगा.’ सौरभ ने बताया कि पिछले साल शुभम ने उनके जन्मदिन पर कानपुर में धूमधाम से पार्टी दी थी. लेकिन इस बार वह उनकी अस्थियां लेकर संगम आए.
शुभम और एशान्या की शादी 12 फरवरी 2025 को हुई थी. मात्र दो महीने के वैवाहिक जीवन में एशान्या ने अपने पति को खो दिया. विसर्जन के दौरान वह शुभम की तस्वीर सीने से लगाए फफक-फफक कर रोती रहीं. कानपुर के श्यामनगर में रहने वाले शुभम अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में सीमेंट का कारोबार संभाल रहे थे. एमबीए की पढ़ाई पूरी करने वाले शुभम परिवार के इकलौते चिराग थे. पहलगाम हमले में आतंकियों ने उनकी निर्मम हत्या कर दी. जबकि एशान्या ने उन्हें बचाने की कोशिश की थी.
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