Government Meet Governor: मणिपुर में लंबे समय से चल रही राजनीतिक अस्थिरता के बीच अब नई सरकार के गठन की कवायद ने जोर पकड़ लिया है. 13 फरवरी 2025 से लागू राष्ट्रपति शासन के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके सहयोगी दलों ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है. बुधवार, 28 मई 2025 को बीजेपी के 8 नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के 1 और 1 निर्दलीय विधायक सहित 10 विधायकों ने इंफाल में राजभवन जाकर राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की. इस प्रतिनिधिमंडल ने 44 विधायकों के समर्थन का दावा किया है जो 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में बहुमत के लिए आवश्यक 31 सीटों से कहीं अधिक है.
लोकप्रिय सरकार की मांग
निर्दलीय विधायक सपाम निशिकांत सिंह ने इस मुलाकात के बाद कहा “अधिकांश लोग एक लोकप्रिय सरकार चाहते हैं और यही कारण है कि हम राज्यपाल से मिलने यहां आए हैं. हमने अन्य बातों पर भी चर्चा की, जैसे कि लोकप्रिय सरकार के गठन के बाद राष्ट्रपति शासन का कामकाज पहले जैसा नहीं रह सकता. मुख्य रूप से और मूल रूप से मुख्य मुद्दा एक लोकप्रिय सरकार का गठन था. राज्यपाल की प्रतिक्रिया भी अच्छी थी.” यह बयान मणिपुर में जनता की उस इच्छा को दर्शाता है जो एक स्थिर और चुनी हुई सरकार की स्थापना चाहती है.
बीजेपी का दावा और चुनौतियां
बीजेपी विधायक थोकचोम राधेश्याम सिंह ने दावा किया “लोगों की इच्छा के मुताबिक 44 विधायक सरकार बनाने के लिए तैयार हैं.” उन्होंने यह भी बताया कि विधानसभा स्पीकर सत्यव्रत सिंह ने इन 44 विधायकों से व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से मुलाकात की है और नई सरकार के गठन में किसी भी तरह का विरोध नहीं है. हालांकि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व इस दावे पर अंतिम फैसला लेगा. मणिपुर में मई 2023 से शुरू हुई मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा ने राज्य में अस्थिरता पैदा की थी जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को 9 फरवरी 2025 को इस्तीफा देना पड़ा था. इस हिंसा में 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन 13 फरवरी 2025 को संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लागू किया गया था. जब बीजेपी नए मुख्यमंत्री के चयन में विफल रही. इसके बाद विधानसभा को निलंबित कर दिया गया और प्रशासनिक जिम्मेदारी राज्यपाल अजय कुमार भल्ला के पास चली गई. केंद्र सरकार ने इस कदम को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और शांति बहाली के लिए जरूरी बताया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा ‘पिछले वर्ष नवंबर से मणिपुर में किसी हिंसा की खबर नहीं है.’ हालांकि विपक्ष ने सरकार पर हिंसा को रोकने में नाकामी का आरोप लगाया है.
राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने विधायकों की बात पर गौर करने का आश्वासन दिया है और जल्द ही इस दिशा में कार्रवाई शुरू करने की बात कही है. यदि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों का दावा स्वीकार किया जाता है तो मणिपुर में राष्ट्रपति शासन हट सकता है और एक नई लोकप्रिय सरकार का गठन हो सकता है.
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