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क्या स्मृति ईरानी दिल्ली से खेलेंगी राजनीतिक पारी? इस बात की जिम्मेदारी बीजेपी ने सौंपी

नई दिल्ली: दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इस बीच, अमेठी की पूर्व सांसद स्मृति ईरानी बीजेपी की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. हाल ही में वह राजधानी में पार्टी के सदस्यता अभियान से जुड़े कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती नजर आई हैं. इस दौरान पार्टी नेताओं ने कहा कि उन्हें […]

Will Smriti Irani play political innings from Delhi_ BJP handed over the responsibility of this matter
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  • Last Updated: September 14, 2024 08:53:44 IST

नई दिल्ली: दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इस बीच, अमेठी की पूर्व सांसद स्मृति ईरानी बीजेपी की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. हाल ही में वह राजधानी में पार्टी के सदस्यता अभियान से जुड़े कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती नजर आई हैं. इस दौरान पार्टी नेताओं ने कहा कि उन्हें दिल्ली की 14 जिला इकाइयों में से सात में सदस्यता अभियान की देखरेख की जिम्मेदारी दी गई है. जानकारी के मुताबिक, स्मृति ईरानी ने दक्षिण दिल्ली में एक घर खरीदा है, जो दिल्ली में पार्टी गतिविधियों में उनकी बढ़ती भागीदारी का संकेत देता है.

 

खिलाफ लड़ सके

 

बीजेपी के एक नेता ने पीटीआई-भाषा से कहा कि यह घटनाक्रम ऐसे समय में देखा जा रहा है जब पार्टी नेताओं का एक वर्ग ऐसे चेहरे को आगे लाने पर जोर दे रहा है, जो दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी के खिलाफ लड़ सके. बीजेपी ने 2020 का विधानसभा चुनाव बिना किसी नेता को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किए लड़ा था. उन्होंने आगे कहा कि पार्टी 70 में से आठ सीटें जीतने में सफल रही, जबकि AAP ने बाकी सीटें जीतीं.

 

जोर पकड़ता है

 

बीजेपी की दिल्ली इकाई के एक अन्य नेता ने कहा कि अगर आने वाले हफ्तों में सीएम पद के उम्मीदवार के साथ चुनाव लड़ने का विचार जोर पकड़ता है, तो सहज रूप से इस जिम्मेदारी के लिए उपयुक्त नेता को लेकर सवाल उठेंगे. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में स्मृति ईरानी के साथ-साथ सांसद मनोज तिवारी और बांसुरी स्वराज, बीजेपी दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और पश्चिम दिल्ली के पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा जैसे अन्य नेता इस भूमिका के लिए संभावित दावेदार हो सकते हैं.

 

मजबूती मिलेगी

 

उन्होंने दावा किया कि पूरी पार्टी एक नेता के पीछे एकजुट होकर लोगों के बीच एकजुटता का संदेश देगी और अभियान को भी मजबूती मिलेगी. बीजेपी ने 2015 का विधानसभा चुनाव किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर लड़ा था.

 

चर्चा चल रही है

 

इस दौरान पार्टी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा. वहीं, कुछ नेताओं का मानना ​​है कि चुनाव के दौरान सिर्फ एक चेहरे को आगे करना ठीक नहीं है. इसे लेकर पार्टी में अभी भी चर्चा चल रही है. हाईकमान जल्द ही इस पर फैसला ले सकता है.

 

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