Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है. इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों और उनके आकाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई का संकल्प जताया. उनके बयान ‘काम बहुत बड़ा है और समय कम’, सैन्य कार्रवाई की संभावनाओं को लेकर अटकलों को हवा दी है. ऐतिहासिक युद्धों के अनुभवों को देखते हुए विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यदि भारत कोई सैन्य ऑपरेशन शुरू करता है तो यह मानसून से पहले जून तक पूरा हो सकता है.
पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए इस हमले को 26/11 के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है. भारत ने इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) का काम बताया है. हमले के बाद पीएम मोदी ने 29 अप्रैल को उच्चस्तरीय बैठक में सशस्त्र बलों को कार्रवाई का समय तरीका और लक्ष्य चुनने की ‘पूरी अभियानगत छूट’ दी. इस बयान ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी. जहां सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने दावा किया कि भारत अगले 24-36 घंटों में हमला कर सकता है.
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों का इतिहास बताता है कि मानसून सैन्य कार्रवाइयों में बड़ी बाधा रहा है. 1948 में कबाइली घुसपैठ के कारण युद्ध अक्टूबर में शुरू हुआ. जबकि 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की घुसपैठ मार्च-अप्रैल में हुई. लेकिन ऑपरेशन विजय जून में शुरू होकर 11 जुलाई तक चला. 1962 में चीन ने भी मानसून के बाद अक्टूबर में भारत पर हमला किया था.
हालांकि 1965 का युद्ध एक अपवाद था. जो अगस्त में शुरू होकर सितंबर में खत्म हुआ. इस युद्ध में पाकिस्तान को करारी हार मिली. 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए भारत ने मानसून के बाद दिसंबर में ऑपरेशन शुरू किया क्योंकि तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल मानिक शॉ ने मानसून के कारण तैयारी के लिए नौ महीने का समय मांगा था.
पीएम मोदी का बयान ‘काम बहुत बड़ा है और समय कम’ सैन्य कार्रवाई की तात्कालिकता को दर्शाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में मानसून जून से शुरू होता है. जिसके बाद पहाड़ी इलाकों में सैन्य ऑपरेशन जटिल हो जाते हैं. इसलिए यदि भारत कोई सर्जिकल स्ट्राइक या लक्षित कार्रवाई करता है तो यह मई या जून तक संभव है.
पहलगाम हमले के बाद भारत ने कई कठोर कदम उठाए हैं-
पीएम मोदी ने बिहार के मधुबनी में 24 अप्रैल को कहा ‘आतंकवादियों को ऐसी सजा मिलेगी. जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी.’ यह बयान और सेना को दी गई खुली छूट 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसे ऑपरेशनों की याद दिलाता है.
पाकिस्तान के नेता और मीडिया भारत की संभावित कार्रवाई से सहमे हुए हैं. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा ‘अगले चार-पांच दिन पाकिस्तान के लिए भारी हो सकते हैं.’ वहां की सेना में अंदरूनी कलह की खबरें हैं और कई अधिकारियों ने अपने परिवारों को विदेश भेज दिया है. पाकिस्तानी मीडिया में 24-36 घंटों में हमले की आशंका को लेकर चर्चा जोरों पर है.
सूत्रों के अनुसार भारत की कार्रवाई सटीक और गोपनीय होगी. जिसमें आतंकी ठिकानों के साथ-साथ उनके वित्तीय और लॉजिस्टिक समर्थकों को निशाना बनाया जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आर्टिकल 51 के तहत भारत आत्मरक्षा के अधिकार का उपयोग कर सकता है. साथ ही कूटनीतिक स्तर पर भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर अलग-थलग करने की रणनीति अपनाई है. जैसा कि सऊदी अरब और यूएई द्वारा पाकिस्तान को फटकार लगाने से स्पष्ट है.
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