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सपा में ‘साइकिल’ की जंग, दिल्ली पहुंचे अमर सिंह, कहा- मुलायम के लिए बन सकता हूं खलनायक

उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे समाजवादी पार्टी में मची घमासान खत्म होने की बजाए लगातार बढ़ती जा रही है. अब आज चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर दावे की जंग छिड़ चुकी है.

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  • Last Updated: January 2, 2017 05:34:15 IST
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे समाजवादी पार्टी में मची घमासान खत्म होने की बजाए लगातार बढ़ती जा रही है. अब आज चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर दावे की जंग छिड़ चुकी है.
 
अखिलेश यादव की ओर से पार्टी से निकाले गए अमर सिंह आज लंदन से दिल्ली आ गए हैं. उन्होंने दिल्ली पहुंचते ही कहा कि उनके लिए दल नहीं दिल ज्यादा महत्वपूर्ण है. अमर ने कहा, ‘मेरे लिए दल नहीं दिल ज्यादा महत्वपूर्ण है. मुलायम सिंह यादव हमेशा से मेरे दिल में हैं, उनके लिए मैं खलनायक भी बन सकता हूं, मैं उनके साथ था, साथ हूं और हमेशा रहूंगा.’
 
 
बता दें कि अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के गुट दोनों ही चुनाव चिन्ह साइकिल पर दावा जता रहे हैं. आज इसी दावे के लिए दोनों गुट चुनाव आयोग पहुंचेंगे. अमर सिंह पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं, वहीं शिवपाल यादव भी दिल्ली पहुंच चुके हैं और मुलायम सिंह भी दिल्ली के लिए उड़ान भर चुके हैं. कहा जा रहा है कि पार्टी पर कब्जे के लिए मुलायम सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दे सकते हैं.
 
पहले कहा जा रहा था कि खराब स्वास्थ्य की वजह से मुलायम दिल्ली नहीं जाएंगे, लेकिन अब मुलायम ने खुद इस बात की जानकारी दी है कि वह दिल्ली जा रहे हैं और वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं. चुनाव चिन्ह पर मुलायम ने कहा कि समाजवादी पार्टी चुनाव चिन्ह उनका हस्ताक्षर है.  
 
 
वहीं अखिलेश यादव का गुट भी चुनाव चिन्ह पर दावेदारी के लिए दिल्ली पहुंचेगा. रामगोपाल यादव कल रात यानी रविवार की रात ही दिल्ली पहुंच चुके हैं. वहीं आज 11 बजे अखिलेश सपा विधायकों के साथ बैठक करने वाले हैं.
 
 
दोनों पक्षों में से किसी के भी खिलाफ अगर आयोग निर्णय सुनाता है तो वह कोर्ट भी जा सकता है. ऐसी स्थिति में पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल फैसला होने तक रद्द किया जा सकता है. जिसकी संभावना ज्यादा दिख रही है. अगर ऐसा हुआ तो दोनों गुटों को किसी नए निशान पर चुनाव लड़ना पड़ सकता है.
 
अखिलेश यादव के समर्थन में भले ही 200 से ज्यादा विधायक और भारी संख्या में समर्थनक दिखाई दे रहे हैं लेकिन विधानसभा चुनाव में उनकी राह बिलकुल आसान नहीं होगी. अगर वह अकेेले  चुनाव लड़ेेंगे तो शिवपाल का गुट उनको तगड़ा नुकसान पहुंचाएगा.
 
 
लेकिन वह कांग्रेस, आरएलडी के साथ गठबंधन करते हैं तो उनको 100 से 200 सीटों पर समझौता करना पड़ सकता है ऐसी स्थिति में उनके समर्थक जिनको टिकट नहीं मिलेगा वह शिवपाल के साथ जा सकते हैं. 

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