Inkhabar
  • होम
  • राजनीति
  • बंगाल में आरएसएस की रणनीति , ‘इस्लाम’ के सहारे भगवा फहराने की तैयारी

बंगाल में आरएसएस की रणनीति , ‘इस्लाम’ के सहारे भगवा फहराने की तैयारी

कोलकाता- बंगाल में बहुत तेजी से पैर पसार रहे आरएसएस ने एक ऐसे मुस्लिम चेहरे को खोज लिया है जिसकी मान्यता बंगाली समुदाय में बहुत ज्यादा है फिर चाहे वह मुस्लिम हो या फिर हिंदू..

Kazi Nazrul Islam, Rss, Bengal, BJP, TMC, Mamata Banarjee, Left Parties,
inkhbar News
  • Last Updated: April 25, 2017 08:50:29 IST
कोलकाता.  बंगाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए एक टेढ़ी खीर रहा है. आरएसएस इस राज्य को लेकर बहुत ज्यादा गंभीर है.  इस बात का अंदाजा इसी साल मार्च में कोयंबटूर में हुई प्रतिनिधि सभा के सम्मेलन में बंगाल को लेकर पारित हुए प्रस्ताव से ही जाना जा सकता है.
रामनवमी और हनुमान जयंती पर संघ और उससे जुड़े संगठनों के राज्यव्यापी कार्यक्रमों के बाद मई में संघ ने कार्यक्रमों की एक बड़ी श्रृंखला बनाई है जो बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि काजी नजरूल इस्लाम की याद में होगी.
 
Inkhabar
काजी नसरूल इस्लाम यानी एक ऐसा मुस्लिम कवि जो बासुंरी भी बजाता था और काली-दुर्गा के लिए भी कई रचनाएं भी लिखीं. हालांकि बहुत कम मुसलमान चेहरे हैं जो संघ के महापुरुषों की सूची में शामिल हो पाए हैं.  उनमें पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और अब्दुल हमीद आदि शामिल हैं.
दरअसल का  संघ का दावा है कि उसे मुस्लिम चेहरों को शामिल करने के हिचक नहीं होती है जो हिंदू-मुस्लिम की राजनीति से दूर केवल देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करते आए हैं और इस देश की ‘मूल आत्मा’ को समझते हैं. 
संघ को मिला बंगाल में चेहरा
ऐसे में काजी नजरूल इस्लाम संघ के इस पैमाने पर काफी खरा उतरते हैं, वैसे भी पश्चिम बंगाल में बड़ी तादाद में मुस्लिम हैं और संघ राष्ट्रवादी-उदारवादी मुस्लिमों और शियाओं को जोड़ना भी चाहता है. संघ से जुड़ा राष्ट्रीय मुस्लिम मंच जैसा संगठन इस काम में लगा भी हुआ है.
पश्चिम बंगाल में संघ के प्रांत कार्यवाह जिश्नू बसु बताते हैं “काजी भले ही मुसलमान थे, लेकिन उन्होंने जीवन हिंदू की तरह बिताया. वो राष्ट्रवादी थे, अंग्रेजों के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई, वो इस धरती की प्रकृति की समझते थे’
जयंती पर बड़े कार्यक्रम की तैयारी
उनकी जयंती पर 24-25 मई को संघ ने पूरे बंगाल में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है. उनकी 39 कविताओं का अनुवाद किया जाएगा और ‘नजरूल गीत’ के नाम से उनकी कविताओं के कार्यक्रम रखे जाएंगे.
इन कार्यक्रमों में बताया जाएगा कि नजरूल कैसे काली और दुर्गा के लिए भी रचनाएं लिखते थे, बांसुरी बजाते थे. उनकी राष्ट्रवादी कविताओं, भारत भूमि की प्रशंसा में लिखी रचनाओं को लोगों के बीच लाया जाएगा. इस तरह से संघ को एक मुस्लिम आइकॉन मिलेगा जिससे राष्ट्रवादी और उदारवादी मुसलमानों को संघ से जोड़ने में मदद मिलेगी. 
काजी नजरूल का पूरा परिचय
काजी नजरूल इस्लाम गुलाम भारत में पैदा हुए थे. उन्होंने ब्रिटिश आर्मी में भी काम किया लेकिन जल्द ही वो उसे छोड़कर कोलकाता में पत्रकारिता करने लगे.  
उसी दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोही साहित्य लिखना शुरू कर दिया. उन्हें ‘विद्रोही कवि’ कहा जाता है. उनकी किताब ‘प्रलयशिक्षा’ को 1930 में देशद्रोह के आरोप में अंग्रेज सरकार ने बैन कर दिया.
हालांकि उन्हें 43 साल की उम्र में ही किसी बड़ी मानसिक बीमारी ने घेर लिया, और वो सालों तक रांची के मेंटल हॉस्पिटल में रहे, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी में उनकी कविताएं बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों में जोश के संचार की वजह बनीं.
बच्चों के नाम भी रखे ‘हिंदू-मुस्लिम’
बांग्लादेश ने उन्हें राष्ट्रीय कवि का दर्जा दिया और 1972 में उन्हें परिवार सहित बांग्लादेश बुला लिया, जहां चार साल बाद उनकी मौत हो गई. वो हिंदू-मुस्लिम एकता के इतने बड़े हिमायती थे कि उन्होंने अपने बेटों के नाम भी हिंदू-मुस्लिम को मिलाकर लिखे—एक का नाम कृष्णा मोहम्मद था, दूसरे का नाम अरिंदम मोहम्मद, तीसरे का नाम काजी सब्यसाची था और चौथे का काजी अनिरुद्ध रखा.
ऐसे में ये संघ के लिए काफी मुफीद चेहरा मुस्लिम चेहरा है जो उनके मुताबिक फिट बैठता है. मोहन भागवत पहले ही कह चुके हैं कि हिंदुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है.  
Inkhabar
टीएमसी के लिए खतरा बन रहा है आरएसएस
हालांकि नजरूल के चाहने वाले पूरे बंगाल में हैं लेकिन संघ अगर नजरूल की विरासत पर इस तरह कब्जा जमाएगा तो तृणमूल कांग्रेस के लिए वाकई मुश्किल हो सकती है.
वैसे भी नजरूल हिंदुओं के साथ इस कदर जुड़े हुए थे कि बचपन में जहां वो नारद को रोल स्टेज पर करते थे वहीं उन्होंने पहली फिल्म डायरेक्ट की थी तो उसका नाम था भक्त ध्रुव था.
नजरूल ने राग भैरव पर भी काफी काम किया, कई गीत इस राग पर आधारित लिखे. कई भक्ति कीर्तनों को भी काजी ने लिखा और संगीत दिया. बंगाल जैसे मुस्लिम बहुत राज्य के लिए संघ के पास इससे बेहतर चेहरा और क्या हो सकता है. आरएसएस इसके साथ ये मैसेज भी देना चाहता है कि उसे किस तरह के मुसलमान पसंद हैं.

Tags