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लहुरी काशी से अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव के प्रचार का करेंगे आगाज

लखनऊ : 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टियां अभी से जोर लगाना शुरू कर दी है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव गाजीपुर में 9 फरवरी को रैली करेंगे और यहीं से लोकसभा चुनाव के प्रचार का आगाज करेंगे. सामजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा सरकार में मंत्री रहे दिवंगत कैलाश यादव […]

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  • Last Updated: February 5, 2023 23:03:10 IST

लखनऊ : 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टियां अभी से जोर लगाना शुरू कर दी है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव गाजीपुर में 9 फरवरी को रैली करेंगे और यहीं से लोकसभा चुनाव के प्रचार का आगाज करेंगे. सामजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा सरकार में मंत्री रहे दिवंगत कैलाश यादव की प्रतिमा का अनावरण करेंगे और एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे.

2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भी अखिलेश यादव ने गाजीपुर से ही चुनाव प्रचार की शुरूआत की थी. समाजवादी पार्टी के नेताओं का दावा है कि सपा के कार्यकर्ता इस जनसभा को सफल बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे. अखिलेश यादव पूर्वांचल के साथ ही पूरे प्रदेश को एक बड़ा संदेश देने का काम करेंगे.

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सपा- बहुजन समाजवादी पार्टी और रालोद ने मिलकर यहां पर भारतीय जनता पार्टी को हराया था. 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भी राजभर के साथ मिलकर सपा ने गाजीपुर में सातों विधानसभा सीटें जीती थी.

अखिलेश यादव के बांहों में जोर आने का कारण चाचा शिवपाल यादव का साथ आना उनके लिए रामबाण की तरह काम करेगा. साप अध्यक्ष का आत्मविश्वास और बढ़ गया है जब से मैनपुरी में हुए उपचुनाव में बंपर जीत मिली. इस जीत के बाद से सपा के कार्यकर्ताओं में जोश आ गया. शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय कर दिया. डिपंल यादव की जीत में शिवपाल यादव की प्रमुख भूमिका थी. डिंपल यादव को जसवंतनगर विधानसभा में सबसे ज्यादा वोट मिला था. जसवंतनगर शिवपाल यादव का गढ़ माना जाता है.

जातीय समीकरण साधने की कोशिश में अखिलेश

यूपी में चुनाव होता है तो हर पार्टी जातीय समीकरण साधने की कोशिश करती है. सपा ने भी जातीय समीकरण साधने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया है. सपा ने जो टीम बनाई है उसमें जाति के साथ क्षेत्र को भी ध्यान दिया गया है. वहीं अगर हम पूर्वांचल की बात करे जहां पर सपा को 2017 विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें मिली थी. वहां पर अखिलेश का फोकस दलित और ओबोसी के वोटों पर है. अगर हम पश्चिम की बात करें तो यहां पर राष्ट्रीय लोक दल के साथ मिलकर जाट और मुस्लिम वोट बैंक हासिल करने की कोशिश में है. अखिलेश को निराशा विधानसभा चुनाव में अपने की हलाके में मिली थी जिसको यादव लैंड कहा जाता है. वहां पर बीजेपी ने बाजी मार ली थी. वहां के लिए भी सपा अध्यक्ष ने अलग से प्लांनिग तैयार की है.

पूर्वांचल में पिछड़ों पर फोकस

सपा अध्यक्ष को पूर्वांचल से काफी उम्मीदें है क्योंकि यहां पर 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में अच्छी-खासी सीटें मिली थी. आजमगढ़ सपा का गढ़ माना जाता है यहां पर अखिलेश यादव ने बलराम यादव को महासचिव बनाया है. वहीं राजभर समाज से रामअचल राजभर को कमान सौंपी है. पूर्वांचल में सपा ने जो रणनीति बनाई है उससे साफ दिख रहा है कि दलित और ओबीसी का वोट हासिल करने की जुगत में है.