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Arun Jaitley on Rahul Gandhi Defence Offset Contracts: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साधा राहुल गांधी पर निशाना, बोले- जिन्हें रक्षा सौदे करवाने की चाहत वो पीएम बनना चाहते हैं

Arun Jaitley on Rahul Gandhi Defence Offset Contracts: लोकसभा चुनाव 2019 के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर यूपीए सरकार के दौरान अपने बिजनेस पार्टनर यूलरिक मैकनाइट को डिफेंस ऑफसेट कॉन्ट्रैेक्ट से फायदा पहुंचाने का आरोप लगा है. इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने निशाना साधते हुए कहा है कि जिन लोगों को रक्षा सौदे करवाने की चाहत वे प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश रख रहे हैं.

Arun Jaitley on Rahul Gandhi Defence Offset Contracts to business partner
inkhbar News
  • Last Updated: May 4, 2019 17:02:35 IST

नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2019 के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. राहुल गांधी के बिजनेस पार्टनर यूलरिक मैकनाइट पर यूपीए सरकार के दौरान रक्षा सौदों में ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट लेने का आरोप लगा है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने राहुल के बिजनेस पार्टनर को जमकर फायदा पहुंचाया.

अरुण जेटली ने शनिवार को बताया कि राहुल गांधी ने सियासी फायदा उठाते हुए अपने बिजनेस पार्टनर को फायदा पहुंचाया है. साथ ही कहा कि जो व्यक्ति रक्षा सौदे करवाने की चाहत रखता हो उसकी भारत का प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश है. यह वाकई एक गंभीर आरोप है. वित्त मंत्री ने बताया कि राहुल गांधी के बिजनेस पार्टनर यूलरिक मैकनाइट एक अमरीकी नागरिक हैं और वह राहुल गांधी की सोशल गैंग का भी हिस्सा हैं.

क्या है पूरा मामला-

हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि राहुल गांधी के पूर्व में बिजनेस पार्टनर रहे यूलरिक मैकनाइट को मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के दौरान डिफेंस ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट मिले थे. राहुल गांधी ने ब्रिटेन की बैकॉप्स लिमिटेड कंपनी में पहले हिस्सेदारी थी और उनके साथ अमरीका के यूलरिक मैकनाइट भी इस कंपनी में 35 फीसदी के हिस्सेदार थे. बाद में यह कंपनी बंद हो गई और फिर 2011 में यूलरिक मैकनाइट ने फ्रांस के नेवल ग्रुप के जरिए भारत सरकार से स्कोर्पियन सबमरिन का डिफेंस ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट लिया था.

क्या होता है डिफेंस ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट-

रक्षा सौदों में सामान्यतया एक ऑफसेट समझौता होता है. जब भी किसी देश की सरकार किसी बाहर की कंपनी को ऑर्डर देती है तो वह ऑफसेट समझौते के तहत किया जाता है. ऑफसेट समझौते का उद्देश्य यह होता है कि उस रक्षा सौदे का फायदा घरेलू कंपनी को भी पहुंचे. ताकि देश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिल सके. मोदी सरकार ने फ्रांंस की राफेल राफेल डील में घरेल कंपनी अनिल अंबानी की रिलांयस एरोनॉटिकल लिमिटेड को ऑफसेट पार्टनर बनाया. जिसके जरिए इस कंपनी को भी फायदा पहुंच सके और देश में रोजगार सृजन हो. यूपीए सरकार के दौरान स्कॉर्पियन सबमरिन के सौदे के दौरान भी ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट हुआ. जिसमें यूलरिक मैकनाइट की सहयोगी कंपनियों को पार्टनर बनाया गया. अब इसी मुद्दे पर बवाल हो गया है और सत्ताधारी पार्टी बीजेपी चुनावी माहौल में कांग्रेस को घेरने में लगी है.

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