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छत्तीसगढ़ कांग्रेस में रार? मंत्री टीएस सिंहदेव नॉट रीचेबल, CM बघेल की नहीं हो पा रही बात

नई दिल्ली, छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने बीते शनिवार को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया था, टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चार पन्नों की चिट्ठी लिखकर विभाग में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए इस्तीफ़ा दे दिया था. बताया जा रहा है कि सिंहदेव के इस्तीफे के बाद […]

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  • Last Updated: July 17, 2022 19:09:58 IST

नई दिल्ली, छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने बीते शनिवार को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया था, टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चार पन्नों की चिट्ठी लिखकर विभाग में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए इस्तीफ़ा दे दिया था. बताया जा रहा है कि सिंहदेव के इस्तीफे के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में एक बार फिर अंदरूनी कलह शुरू हो गई है, वहीं सीएम बघेल ने भी टीएस सिंहदेव से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया.

नहीं हो पा रहा संपर्क

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि उन्होंने गत शनिवार देर रात कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव से फोन पर बात करने की कोशिशि की थी, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया था. शनिवार की शाम छह बजे दिए अपने इस्तीफे में पूर्व पंचायत मंत्री ने दावा किया कि मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के तहत सचिवों की एक कमेटी का गठन कर दिया था, जो विभाग में मनमानी कर रहे थे और काम में हस्तक्षेप कर रहे थे. इस कमेटी की ओर से ही सभी प्रोजेक्ट्स को फाइनल अप्रूवल दिया जा रहा था.

टीएस सिंहदेव ने इस्तीफे में क्या लिखा था ?

बीते शनिवार टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपना इस्तीफ़ा सौंपा था, इस इस्तीफे में उन्होंने लिखा था, “प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य के आवासविहीन लोगों को आवास उपलब्ध करवाया जाना था, जिसके लिए मैंने आपसे कई बार चर्चा की और बजट के लिए अनुरोध किया, लेकिन योजना के लिए कोई राशि उपलब्ध नहीं करवाई गई. इस प्रकार राज्य के 8 लाख लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका. इससे राज्य की करीब 10 हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था में सुधार होता, लेकिन ऐसा न हो सका.”

“उल्लेखनीय है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बेघर लोगों के लिए एक भी घर का निर्माण नहीं हो सका है. मंत्री की स्वीकृति के बाद मुख्य सचिव की समिति द्वारा अंतिम निर्णय लेने के लिए एक प्रक्रिया की गई, जो प्रोटोकॉल के बिल्कुल विपरीत है. मैंने समय-समय पर इसे लेकर लिखित में आपत्ति दर्ज की, लेकिन आज तक इस प्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ, जिसकी वजह से मंत्री, विधायक और जनप्रतिनिधियों के सुझाव के मुताबिक, 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का विकासकार्य नहीं हो सका. वर्तमान में भी पंचायतों में कई विकास कार्य शुरू नहीं हुए हैं.”

 

 

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