नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस एक बार फिर राफेल फाइटर जेट डील मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने बुधवार को नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर राफेल मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमला बोला. मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राफेल मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पद का दुरुपयोग किया और फ्रांस की दसॉल्ट एयरक्राफ्ट कंपनी को नाजायज फायदा पहुंचा सरकारी खजाने को चूना लगाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राफेल मामले में एफआईआर दर्ज हो इस मामले की जांच की जाए.
सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का न खाऊंगा और न खाने दूंगा का नारा खाऊंगा, खिलाउंगा और चोरों को बचाऊंगा में बदल गया है. मोदी सरकार चोरों को पनाह दे रही है. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की राफेल डील में भूमिका पर भी सवाल उठाए.
सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने 12 और 13 जनवरी 2016 को पेरिस में 36 राफेल विमान की डील की थी. उस दौरान एनएसए अजीत डोभाल इंडियन नेगोशिएशन टीम को दरकिनार कर प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर डील करने फ्रांस गए. कांग्रेस ने बताया कि इंडियन नेगोशिएशन टीम रक्षा मंत्रालय और भारत सरकार कैबिनेट की ओर से अधिकृत टीम है. राफेल विमानों की डील इंडियन नेगोशिएशन टीम को करनी चाहिए थी जबकि प्रधानमंत्री के कहने पर अजीत डोभाल ने यह डील फाइनल की.
कांग्रेस का कहना है कि अजीत डोभाल किसी भी तरह से राफेल डील करने के लिए अधिकृत नहीं थे क्योंकि वे न तो इंडियन नेगोशिएशन टीम के सदस्य थे और न ही रक्षा मंत्रालय की ओर से अधिकृत अधिकारी. इसलिए उनकी भूमिका राफेल मुद्दे में संदिग्ध है.
साथ ही उन्होंने बताया कि इंडियन नेगोशिएशन टीम ने माना कि मोदी सरकार की 36 राफेल विमानों की डील में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी शामिल नहीं है. जबकि पूर्व की यूपीए सरकार की डील में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी की लागत भी शामिल है. यदि वर्तमान राफेल डील में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी को शामिल कर लिया जाए तो 36 राफेल विमानों की लागत 70 हजार 250 करोड़ रुपए हो जाती है, जो कि यूपीए की डील से कई गुना ज्यादा है.