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लाइट कैमरा एक्शन के अंदाज में बोले राहुल गांधी- 91000 करोड़ की कर्जदार IL&FS को बेलआउट दे रहे हैं पीएम नरेंद्र मोदी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर राफेल के बाद अब IL&FS कंपनी को बेलआउट देने के मुद्दे पर सवाल उठाया है. राहुल ने कहा कि इस कंपनी में 40 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी कंपनियों की है इसके बावजूद यह 91000 करोड़ रुपये की कर्जदार कैसे हो गई. उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार ने 2007 में इस कंपनी को GIFT CITY प्रोजेक्ट दिया था उस वक्त नरेंद्र मोदी सीएम थे. इस प्रोजेक्ट पर आज तक कोई काम नहीं हुआ.

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  • Last Updated: September 30, 2018 15:55:27 IST

नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सिर्फ जनसभाओं में ही नहीं बल्कि ट्विटर पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं. राफेल डील पर मोदी सरकार पर हमलावर राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर एक और नया आरोप लगाया है. राहुल गांधी ने इस बार राफेल डील के बजाया पीएम मोदी के कार्यकाल के उस प्रोजेक्ट का जिक्र किया है जो उनके मुख्यमंत्रित्व काल में साइन हुआ था. राहुल गांधी ने इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) कंपनी को 2007 में दिए गए प्रोजेक्ट में जालसाजी का आरोप लगाया है.

लाइट कैमरा एक्शन के अंदाज में राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, “लाइटस, कैमरा, स्कैम, सीन 1: 2007, CM मोदी IL&FS कंपनी को 70,000 करोड़ का प्रोजेक्ट GIFT CITY देते हैं. आजतक कुछ काम नहीं. जालसाजियाँ आईं सामने. सीन 2: 2018, PM मोदी LIC-SBI में लगे जनता के पैसे से 91000 करोड़ की कर्जदार IL&FS को बेलआउट दे रहे हैं. चौकीदार की दाढ़ी में तिनका.”

राहुल गांधी ने दावा किया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) कंपनी को साल 2007 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 70 हजार करोड़ का गिफ्ट सिटी नाम का प्रोजेक्ट दिया. लेकिन इस प्रोजेक्ट में आज तक कोई काम होने के बजाय जालसाजियां सामने आईं.

बता दें कि IL&FS में एलआईसी, एसबीआई और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जैसी सरकारी संस्थाओं का 40 फीसदी हिस्सा है. इस पर राहुल ने सवाल उठाया है कि जब इस कंपनी का 40 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी कंपनियों के पास है तो इस पर 91 हजार करोड़ का कर्ज कैसे चढ़ गया?

राहुल गांधी के आरोपों के इतर कांग्रेस का दावा है कि IL&FS के 91 हजार करोड़ में से 67 करोड़ एनपीए हो चुका है. कांग्रेस का आरोप है कि पीएमओ और वित्त मंत्रालय आरबीआई, स्टेट बैंक, एसबीआई, एलआईसी और एनएचएआई पर दवाब डाल रहे हैं ताकि IL&FS कंपनी को बेलआउट किया जा सके. इस कंपनी में 35 फीसदी हिस्सा विदेशी कंपनियों का लगा है इसीलिए इसे बेलआउट करने की कोशिश की जा रही है. विदेशी कंपनियों का पैसा बचाने के लिए भारतीय करदाताओं के पैसे पर दांव लगाया जा रहा है.

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