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पार्थ चटर्जी के बाद TMC MLA पर शिकंजा, ईडी ने किया तलब

कोलकता, पश्चिम बंगाल में शिक्षा भर्ती घोटाले की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है, ममता सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी पर शिकंजा कसने के बाद अब ED ने तृणमूल कांग्रेस के नेता माणिक भट्टाचार्य को तलब कर लिया है. ईडी ने इस कार्रवाई से पहले माणिक के घर पर भी छापेमारी की थी. इससे […]

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  • Last Updated: July 26, 2022 17:04:20 IST

कोलकता, पश्चिम बंगाल में शिक्षा भर्ती घोटाले की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है, ममता सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी पर शिकंजा कसने के बाद अब ED ने तृणमूल कांग्रेस के नेता माणिक भट्टाचार्य को तलब कर लिया है. ईडी ने इस कार्रवाई से पहले माणिक के घर पर भी छापेमारी की थी.

इससे पहले ईडी ने शिक्षा भर्ती घोटाले में मंत्री पार्थ चटर्जी को 26 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था, इसके साथ ही उनकी करीबी बताई जा रही अर्पिता मुखर्जी को भी ईडी ने हिरासत में लेने के बाद गिरफ्तार किया था. ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के घर से 21 करोड़ रुपये नकद और लाखों रुपये के गहने बरामद किए थे, इसके साथ ही अर्पिता के घर से कुछ दस्तावेज़ और फॉरेन करेंसी भी मिली थी. कोर्ट ने पार्थ और अर्पिता को 3 अगस्त तक ईडी की कस्टडी में भेज दिया है, ईडी का कहना है कि अर्पिता ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया है कि जो पैसे उनके घर से मिले हैं वो पार्थ के हैं. ईडी ने कोर्ट में अर्पिता और पार्थ चटर्जी दोनों की 14 दिन की हिरासत मांग की थी.

अर्पिता के घर से मिले थे संयुक्त संपत्ति के दस्तावेज़

कोर्ट में ASG ने कहा था कि ये एक गंभीर घोटाला और इसमें हम ED की फुल कस्टडी की मांग करते हैं. उन्होंने कहा कि इस घोटाले में अपात्र अभ्यर्थियों से रिश्वत लेकर उन्हें नियुक्ति पत्र बांटे गए हैं. ED ने दो जगहों पर तलाशी ली है, एक पार्थ चटर्जी और दूसरी अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों पर. इस दौरान ज्वाइंट सेल डीड भी मिली हैं, जिसमें संयुक्त नामों का भी जिक्र है.

ASG ने आगे कहा कि इस सेल डीड से पता चलता है कि दोनों संयुक्त रूप से संपत्ति खरीद रहे थे. ASG ने बताया कि अर्पिता के फ्लैट के दस्तावेज पार्थ के घर से बरामद किए गए हैं, जिसका जब्ती सूची में उल्लेख किया गया है. पार्थ चटर्जी और अर्पिता नियमित रूप से एक-दूसरे के संपर्क में थे. ED का कहना है कि पार्थ ने अवैध रूप से पंचनामा फाड़ दिया और वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. इतना ही नहीं, पार्थ लगातार मोबाइल फोन के जरिए अर्पिता के संपर्क में थे और ये संयुक्त नामों से खरीदारी कर रहे थे. गौरतलब है, पार्थ ने अपनी गिरफ्तारी के कागजों पर हस्ताक्षर करने से भी इनकार कर दिया था.