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G7 Summit: भारत G7 का सदस्य देश नहीं फिर भी हर साल क्यों होता है शामिल, बैठक के क्या हैं प्रमुख उद्देश्य ?

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में पहली विदेश यात्रा में इटली गए हैं. इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने G7 बैठक के लिए भारत को आमंत्रित किया था. G7 बैठक में आमंत्रित करने के लिए पीएम मोदी ने जॉर्जिया मेलोनी को धन्यवाद भी किया था. इस वर्ष हो रही G7 बैठक में कई […]

G7 Summit: India is not a member country of G7, yet why does it participate every year, what are the main objectives of the meeting?
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  • Last Updated: June 14, 2024 17:02:35 IST
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में पहली विदेश यात्रा में इटली गए हैं. इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने G7 बैठक के लिए भारत को आमंत्रित किया था. G7 बैठक में आमंत्रित करने के लिए पीएम मोदी ने जॉर्जिया मेलोनी को धन्यवाद भी किया था. इस वर्ष हो रही G7 बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी. जिसमें भारत भी अपने विचार रखेगा. जी7 देशों में अमेरीका, फ्रांस, इटली, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देश आते हैं, लेकिन भारत इस समूह का हिस्सा नही है. इसके बावजूद पिछले कई सालोंं में भारत को इसमें हिस्सा लेने के लिए 2019, 2020, और 2023 में निमंत्रण दिया गया.

भारत को आमंत्रित करने की वजह

भारत 2.66 ट्रिलियन की जीडीपी के साथ दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. भारत की अर्थव्यवस्था जी7 के चार सदस्य देशों फ्रांस, इटली, कनाडा, और ब्रिटेन से अधिक है.
आईएमएफ ने अपना बयान जारी कर बताया था कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं मे से एक है. यूरोप और पश्चिमी देशों से अधिक भारत में विकास की संभावनाएं हैं क्योंकि वहां के अधिकतर देशों की विकास गति स्थिर हो गई हैं.आईएमएफ की एशिया उप निदेशक ऐनी मैरी गुल्डे ने साल 2023 में कहा था कि भारत पूरे विश्व का महत्वपूर्ण आर्थिक इंजन बननें की ओर अग्रसर है. भारत उपभोग, निवेश और बिजनेस के जरिए विश्व को गति प्रदान करने में सक्षम है.
भारत में निवेशकों की जरूरतों के हिसाब से सहुलियत दी जाती है, निवेशक भी भारत में कम लागत, सस्ता लेबर और अनुकूल औद्योगिक माहौल के कारण आकर्षित हो रहे हैं.
भारत  चीन को पछाड़ कर दुनिया का सबसे अधिक देश बन गया है. भारत की 68 प्रतिशत आबादी काम करने योग्य है, जिसमें 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम की है.  दूसरा कारण ये है कि  यूरोपीय देश ऐसी नीतियां बना रहे हैं, जिनमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ करीबी बढ़ाने की बात है. पिछले कुछ सालों में ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी यानी यूरोप के जी-7 सदस्यों ने अपनी-अपनी इंडो-पैसिफिक को लेकर तैयारी की हैं. इटली ने भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साथ जुड़ने की इच्छा जताई है. अमेरिका के वॉशिंगटन में स्थित थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि ऐसा लगता है, भारत अगले कुछ सालों में जी7 का स्थायी मेहमान देश बन जाएगा.  भारत की जीडीपी ब्रिटेन के बराबर है और फ्रांस, इटली और कनाडा से अधिक है. इसके साथ ही, भारत एक लोकतांत्रिक देश है, इसलिए जी7 प्रतिवर्ष भारत को निमंत्रण भेजता है, और उससे संवाद करना चाहता है.

साल 2024 जी7 मीटिंग के क्या उद्देश्य हैं

1. इटली में हो रही जी7 मीटिंग इस बार कई मामलों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस मीटिंग के दौरान कई अहम मुद्दों पर फैसले लिए जाएंगे. सबसे पहला इस मीटिंग का उद्देश्य दुनिया में बढ़ती महंगाई को कैसे रोका जाए. और व्यापार जुड़ी चिंताओं पर भी अहम फैसले होंगे
2. इस जी7 शिखर सम्मेलन में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और सस्टेनेबेल एनर्जी को बढ़ावा देने की पर भी चर्चा होगी और जलवायु परिवर्तन से निपटने पर फोकस किया जाएगा.
3.  वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाना क्योंकि कोविड19 के बाद ये बात और साफ हुई की इस तरह के स्वास्थ्य आपातकाल के लिए सिस्टम को और बेहतर बनाना चाहिए.
इसके अलावा जी7 शिखर सम्मेलन में भू-राजनीतिक तनावों, चीन और रूस सहित गजा और यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की जाएगी.

क्या है जी 7 समूह ?

जी 7 का मतलब, ग्रुप ऑफ सेवेन हैं जिसमें दुनियाभर में अर्थव्यवस्था और ट्रेंड्स पर कब्जा है. इस के सदस्य देश अमेरिका, जापान, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन, इटली और जर्मनी हैं. पहले ये ग्रुप जी8 हुआ करता था, लेकिन साल 2014 में रूस के क्राइमिया पर कब्जे के बाद रूस को इससे निकाल दिया था तब से इस समूह के 7 देश ही स्थायी सदस्य हैं. प्रतिवर्ष जी7 सदस्यों के बीच अधिकारी बैठके करते हैं और समझौते तैयार करते हैं और विश्व में हो रही घटनाओं पर साझे बयान जारी करते हैं.