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PM Narendra Modi Varanasi Lok Sabha Election: क्या लोकसभा चुनाव 2019 में वाराणसी सीट पर पीएम नरेंद्र मोदी बना सकते हैं कभी न टूटने वाला रिकॉर्ड !

PM Narendra Modi Varanasi Lok Sabha Election: बीजेपी की चाहत है कि पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव 2019 में मतों से जीत हासिल कर इतिहास बना दें. लेकिन भाजपा जानती है कि अखिलेश यादव और मायावती के गठबंधन और कांग्रेस की प्रियंका गांधी ने सीट के समीकरण थोड़ा हिला तो दिए हैं.

PM Narendra Modi UN Speech India Delhi Welcome
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  • Last Updated: May 18, 2019 23:51:10 IST

वाराणसी. लोकसभा चुनाव के सातवें चरण की 19 मई को वोट डाली जाएंगी. इस चरण में कई वीआईपी सीट शामिल हैं जिसमें यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा लोगों की निगाहें थमी हैं. आखिर हों भी क्यों न आखिरकार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी बनकर चुनावी ताल ठोक रहे हैं. पार्टी की चाहत है कि नरेंद्र मोदी इस बार रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल कर इतिहास बना दें. हालांकि, भाजपा जानती है कि अखिलेश यादव और मायावती के गठबंधन और कांग्रेस की प्रियंका गांधी ने समीकरण थोड़ा हिला तो दिए है लेकिन भरोसा है कि पीएम मोदी साल 2014 के चुनावों से भी बड़ी जीत हासिल करेंगे. आइए इस भरोसे के पीछे का गणित समझने की कोशिश करते हैं.

बनारस में इस बार मोदी बनाम कोई नहीं
साल 2014 के चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के सबसे मजबूत प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की होने जा रही ऐतिहासिक जीत पर उस समय ग्रहण लग गया जब आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बनारस से नामांकन करने की घोषणा कर दी. चुनाव तो केजरीवाल नहीं जीते लेकिन 2 लाख 9 हजार 111 वोट ले गए. केजरीवाल को मिली अधिकतर वोट पीएम नरेंद्र मोदी के खाते से गईं और जिसका परिणाम ये रहा कि पीएम मोदी को सिर्फ 5 लाख 80 हजार 423 वोट मिली यानी मोदी लहर में भी बीजेपी को वो एतिहासिक जीत नहीं मिल सकी जिसकी उम्मीद थी.

अब 5 साल बीत चुके हैं, बनारस में 5 सालों में मोदी ने सांसद के तौर पर कितना काम किया, इसकी कोई सरल परीभाषा तो नहीं है लेकिन कहीं न कहीं काफी संख्या में लोग पीएम मोदी को पसंद करते हैं. वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती का मिल जाना और यूपी की राजनीति में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी का आना बीजेपी के लिए परेशानी तो बना लेकिन पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर का नामाकंन रद्द हो जाना और प्रियंका का वाराणसी से चुनाव न लड़ना भाजपा को जरूर फायदा दे गया.

प्रियंका गांधी वाराणसी से लड़तीं तो कुछ भी हो सकता था
कांग्रेस से मोदी के खिलाफ अजय राय मैदान में उतरे हैं, ये वही अजय राय है जिन्हें साल 2014 में सिर्फ 75 हजार 541 वोट मिली थीं. दरअसल चुनाव से पहले चर्चा थी कि प्रियंका गांधी वाराणसी से पहला चुनाव लड़ेंगी. खुद प्रियंका गांधी भी कई बार पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का हिंट दे चुकी थीं. लेकिन आखिर में अजय राय को ही प्रत्याशी बनाया गया.

माना जा रहा था कि अगर प्रियंका पीएम मोदी के खिलाफ लड़तीं तो कुछ भी हो सकता था क्योंकि कहीं न कहीं प्रियंका गांधी की राजनीति में आने से यूपी में पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा है. प्रदेश में कांग्रेस की जमीनी पकड़ मजबूत बनी है. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने फिर से अजय राय को मैदान में उतारकर सरेंडर करने जैसा माहौल बना दिया जिसके बाद बीजेपी की आशा अब और बड़ी जीत हासिल करने की हो गई.

महागठबंधन के अर्जुन बने थे बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर पर…

बीजेपी के पीएम मोदी की ऐतिहासिक जीत के सपने पर एक बार फिर उस समय पानी फिर गया, जब समाजवादी पार्टी ने अपनी प्रत्याशी शालिनी यादव का टिकट काटकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे चर्चित बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर को प्रत्याशी घोषित कर दिया. दरअसल वीडियों मे सेना के खराब खाने की शिकायत करने वाले तेज बहादुर यादव काफी चर्चाओं में रहे हैं. अगर वे मोदी के सामने महागठबंधन से ताल ठोकते तो बीजेपी को काफी नुकसान हो सकता था.

हालांकि टिकट मिलने के कुछ ही दिन बाद तेज बहादुर का नामांकन चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया. तेज बहादुर पर आरोप था कि उन्होंने दो बार नामांकन दाखिल किया और दोनों में अलग-अलग जानकारी दी. तेज बहादुर के नामांकन खारिज होने के बाद एक बार फिर महागठबंधन से प्रत्याशी शालिनी यादव हो गईं और बीजेपी का रिकॉर्ड जीत का सपना फिर वापस जाग गया.

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर मुद्दे पर कुछ लोग नाराज तो काफी मोदी के साथ

नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनवाने का ऐलान किया जिसके बाद प्रशासन ने काफी संख्या में मौजूद घरों पर बुल्डोजर चलवा दिया. ये वो घर थे जिनके अंदर आप जाएंगे तो छोटी-छोटी मंदिर आपको मिलेंगी. काफी लोगों का कहना है कि ये मंदिर अब लोगों के कमाने का जरिया बन चुका है तो वहां रहने वाले लोगों ने इसे अपनी आस्था का सवाल बताया. कुल मिलाकर चुनाव के समय मुद्दा तो यह काफी गरम रहा लेकिन इसका नुकसान मिलता पीएम मोदी को नजर नहीं आया.

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