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2024 के लिए BJP का मास्टर स्ट्रोक… जानिये मुलायम सिंह को पद्मविभूषण देने के सियासी मायने

नई दिल्ली: हर वर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या को पद्म पुरुस्कारों का ऐलान किया जाता है. इस बार भी ऐसा ही कुछ हुआ जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मा पुरस्कारों से सम्मानित होने वालों की लिस्ट पर मंजूरी दी. लिस्ट देखने के बड़ा हर कोई हैरान रह गया जिसका कारण उत्तर प्रदेश के पूर्व […]

akhilesh yadav on mulayam singh yadav Padma vibhooshan
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  • Last Updated: January 26, 2023 18:38:32 IST

नई दिल्ली: हर वर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या को पद्म पुरुस्कारों का ऐलान किया जाता है. इस बार भी ऐसा ही कुछ हुआ जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मा पुरस्कारों से सम्मानित होने वालों की लिस्ट पर मंजूरी दी. लिस्ट देखने के बड़ा हर कोई हैरान रह गया जिसका कारण उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव था जिन्हें 74वें गणतंत्र दिवस पर पद्मा विभूषण से सम्मानित किया गया है. ऐसे में कयास लगाए जाने लगे कि इस सम्मान के पीछे भाजपा की क्या सियासत हो सकती है.

समझिए सियासी दांवपेंच

दरअसल कुछ ही महीने पहले सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव दुनिया से रुख्सत हुए हैं. देश के पूर्व रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके मुलायम सिंह यादव का देश की राजनीति में बहुत बड़ी भूमिका रही. उनके जाने के बाद भी उनका सियासी प्रभाव कम नहीं हुआ है. इसी प्रभाव को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा दाव चला है. आइए जानते हैं मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण देने के पीछे सियासी दाव कितना गहरा है.

कुछ नहीं कह पाएंगे अखिलेश…

दरअसल केंद्र सरकार का यह दाव इतना मजबूत है कि विपक्ष में बैठे अखिलेश यादव भी खुद उनका स्वागत कर रहे हैं. उनके पास इसके अलावा कोई और चारा नहीं है. लेकिन ये बात साफ़ है कि पद्म अवॉर्ड में अपने पिता का नाम देखकर अखिलेश यादव पहैरान जरूर हुए होंगे। क्योंकि भाजपा से उन्हें इस बात की तनिक भी उम्मीद नहीं होगी. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र में बैठी भाजपा ने ये कदम 2024 के चुनाव को देखते हुए उठाया है.

यह बात तो साफ़ है कि अगले लोकसभा चुनाव में यादव वोट बेहद अहम होने वाले हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया गया है. मुलायम सिंह यादव की विरासत को अपने पाले में करने के लिए केंद्र सरकार का यह बड़ा कदम हो सकता है. इससे पहले भी कई बार भाजपा इस बात को साफ़ कर चुकी है. पहले भी तीन ऐसे मौके आ चुके हैं जब केंद्र सरकार यादवों का झुकाव अपनी ओर खींचने का प्रयास कर चुकी है.

तीसरी बार किया है प्रयास

पहला कदम- कानपुर के सबसे बड़े यादव नेता स्वर्गीय हरमोहन सिंह यादव की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी का जाना.
दूसरा कदम- भाजपा ने हरियाणा से सुधा यादव को अपने टॉप बॉडी पार्लियामेंट बोर्ड में जगह दी थी.
तीसरा कदम- मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से सम्मानित करना.

हालांकि भाजपा की इस चाल का कामयाब होना इतना आसान भी नहीं है. बिहार में लालू यादव और यूपी में अखिलेश यादव इतनी आसानी से अपना यादव वोट छिटकने नहीं देंगे.

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