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Mallikarjun Kharge : सरकार विपक्ष को बोलने ही नहीं दे रही, आखिरकार हम मुद्दे कैसे उठाएं- मल्लिकार्जुन खड़गे

Mallikarjun Kharge : राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्ष को “प्रासंगिक मुद्दों” को उठाने या सदन में किसी भी चर्चा न होने देने के लिए सरकार को दोषी ठहराया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि केवल हम तभी जिंदा रह सकते हैं, जब हम उन मुद्दों को उठाएं जो जनता के लिए जरूरी हैं।

Mallikarjun Kharge
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  • Last Updated: August 14, 2021 12:02:56 IST

नई दिल्ली. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्ष को “प्रासंगिक मुद्दों” को उठाने या सदन में किसी भी चर्चा न होने देने के लिए सरकार को दोषी ठहराया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि केवल हम तभी जिंदा रह सकते हैं, जब हम उन मुद्दों को उठाएं जो जनता के लिए जरूरी हैं।

द इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम में बोलते हुए खड़गे ने कहा कि सरकार जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर विपक्ष को अपनी बात कहने ही नहीं दे रही है. चाहे पेगासस हो, किसानों का मुद्दा हो, कोविड 19 प्रबंधन हो या फिर तेल की बढ़ती कीमतें। अगर हम जीवित हैं, तभी हम अन्य बातों पर बातचीत कर सकते हैं। अगर हमारे पास आवाज है तो हम दूसरों के लिए बोल सकते हैं। अगर हमारे पास आवाज नहीं होगी तो न किसान मुद्दा होगा, न महंगाई का और न कोविड का। उन्होंने कहा कि बोलने वाले के पास शक्ति होनी चाहिए। यह जरूरी है, क्योंकि यह मेरा मौलिक अधिकार है, यह मेरी निजता है, यह मेरी सुरक्षा है।

कथित पेगासस निगरानी मामले और स्पाइवेयर निर्माता एनएसओ पर खड़गे ने कहा एन का मतलब नरेंद्र, एस का मतलब शाह, ओ का मतलब समग्र निगरानी है। खड़गे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मानसून सत्र के लिए विपक्ष का एजेंडा प्रासंगिक मुद्दों को उठाना है। सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि 15 विपक्षी दलों के नेताओं ने मिलकर फैसला किया कि पहला मुद्दा हमारी आजादी को बचाने, मौलिक अधिकारों को बचाने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाने के लिए उठाया जाना चाहिए।

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसी को भी नहीं बख्शा जा रहा है। पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल मीडिया, विपक्षी नेताओं, सेना प्रमुख, इसी तरह सभी सरकारी अधिकारियों, जजों के खिलाफ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने कम से कम 16 दिन बर्बाद कर दिए। अगर एक दिन, चार या छह घंटे, जो भी अध्यक्ष आवंटित करते हैं चर्चा के लिए आवंटित किया जाता तो सदन सुचारू रूप से काम करता और समस्या नहीं होती।

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