नई दिल्ली. पत्रकार प्रिया रमानी के यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर द्वारा उन पर किए गए मानहानि केस की सुनवाई गुरुवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में हुई. इस मामले में अकबर की ओर से पेश वकील गीता लूथरा कोर्ट में कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने रमानी के विवादित ट्विट्स पर आर्टिकल्स लिखे हैं. यह ट्वीट्स तब तक मानहानि के तहत आते हैं, जब तक रमानी उन्हें साबित नहीं कर देतीं. उन्होंने कहा कि रमानी के इन ट्वीट्स से अकबर की प्रतिष्ठा पर आंच आई है, जो उन्होंने 40 वर्षों में बनाई थी. कोर्ट एमजे अकबर और अन्य गवाहों के बयान 31 अक्टूबर को सुनेगा.
बुधवार को मीटू कैंपेन के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा था कि यह उनकी निजी कानूनी ल़ड़ाई है और पद से इस्तीफा देकर ही वह झूठे आरोपों को चुनौती देंगे. अकबर पर आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद करीब 20 महिलाएं उनके समर्थन में खड़ी हो गई थीं. उन्होंने कहा था कि वे अकबर के खिलाफ कोर्ट में गवाही देने को तैयार हैं. द एशियन एज की पत्रकार रहीं महिलाओं के संगठन ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि उनकी बात को सुना जाए.
महिलाओं का दावा है कि एमजे अकबर ने उनका यौन उत्पीड़न उस वक्त किया, जब वे एशियन एज के संपादक थे. रविवार को नाइजीरिया से लौटने के बाद एमजे अकबर ने कहा था कि उन पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं. यह सब बवाल लोकसभा चुनावों से पहले ही क्यों खड़ा हुआ? अकबर ने कहा था कि वे इस मामले को लेकर कानूनी कार्रवाई करेंगे. इसके बाद प्रिया रमानी के खिलाफ उन्होंने मानहानि का केस दाखिल किया और करीब 97 वकीलों की फर्म अकबर की ओर से अदालत में दलीलें पेश करेगी.
इससे पहले सीएनएन की पत्रकार मेजली दे प्यू कैंप ने आरोप लगाया था कि एमजे अकबर ने उसे जबरन लिप लॉक किस किया और उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी. महिला पत्रकार ने यह भी कहा था कि अकबर ने मेरे पेरेंट्स को भी धोखा दिया है जो उनके दोस्त थे. दोस्त की बेटी के साथ ही अकबर ने इस तरह का व्यवहार किया.