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बतौर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का अंतिम संबोधन, देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था को किया नमन !

नई दिल्ली, निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल का आज आखिरी दिन है और इस मौके पर वे देश को संबोधित कर रहे हैं. रामनाथ कोविंद ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि आज से पांच साल पहले आप सबने मुझ पर अपार भरोसा जताया था और अपने निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों के माध्यम से मुझे […]

Ramnath Kovind last speech as president
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  • Last Updated: July 24, 2022 19:29:03 IST

नई दिल्ली, निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल का आज आखिरी दिन है और इस मौके पर वे देश को संबोधित कर रहे हैं. रामनाथ कोविंद ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि आज से पांच साल पहले आप सबने मुझ पर अपार भरोसा जताया था और अपने निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों के माध्यम से मुझे भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना था. राष्ट्रपति के रूप में मेरा कार्यकाल आज समाप्त हुआ, मैं आप सभी का तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूँ. मैं आप सभी देशवासियों के प्रति तथा आपके जन-प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ.

बतौर राष्ट्रपति अपने अंतिम संबोधन में रामनाथ कोविंद ने आगे कहा कि कानपुर देहात जिले के परौंख गांव के अति साधारण परिवार में पला-बढ़ा राम नाथ कोविंद आज आप सभी देशवासियों को संबोधित कर रहा है, इसके लिए मैं अपने देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति को शत-शत नमन करता हूं, जब अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान मैं अपने पैतृक गांव का दौरा किया तो जो अनुभूति हुई उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, उस दौरान कानपुर के विद्यालय में शिक्षकों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में हमेशा शामिल रहेगा.

“जड़ों से जुड़े रहना चाहिए भारतीय संस्कृति की विशेषता”

उन्होंने कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है और मैं युवा पीढ़ी से यह अनुरोध करूंगा कि अपने गांव या नगर तथा अपने विद्यालयों और शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को आगे बढ़ाते रहें, क्योंकि ये परंपरा ही हमें जीवंत बनाती है.

निवर्तमान राष्ट्रपति के संबोधन की बड़ी बातें

रामनाथ कोविंद ने आगे कहा कि 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए हमारा देश सक्षम हो रहा है, यह मेरा दृढ़ विश्वास है. हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था और हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है.

 

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