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Opposition Meeting: पटना में पोस्टर वॉर! विपक्षी महाजुटान से पहले BJP ने राहुल गांधी को बताया देवदास

पटना: कुछ ही देर में बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बैठक शुरू होने जा रही है जहां सभी गैर भाजपाई पार्टियां मिलकर केंद्र शासित बीजेपी को हराने के लिए रणनीति बनाएंगी. ये पहली बार है जब भाजपा के खिलाफ सभी विपक्षी पार्टियां लोकसभा चुनाव को लेकर एकजुट होंगी ऐसे में सियासी बवाल […]

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  • Last Updated: June 23, 2023 10:40:07 IST

पटना: कुछ ही देर में बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बैठक शुरू होने जा रही है जहां सभी गैर भाजपाई पार्टियां मिलकर केंद्र शासित बीजेपी को हराने के लिए रणनीति बनाएंगी. ये पहली बार है जब भाजपा के खिलाफ सभी विपक्षी पार्टियां लोकसभा चुनाव को लेकर एकजुट होंगी ऐसे में सियासी बवाल होना भी तय है. इसी कड़ी में भाजपा ने अलग-अलग तरीकों से विपक्षी दलों को घेरना शुरू कर दिया है.

भाजपा कार्यालय के बाहर लगाया गया पोस्टर

बिहार की राजधानी पटना में बीजेपी कार्यलाय के बाहर एक पोस्टर लगाया गया है जिसमें राहुल गांधी की तुलना देवदास से की गई है. पोस्टर पटना में बीजेपी कार्यालय के बाहर लगा है जिसमें विपक्षी एकता पर कटाक्ष किया गया है. पोस्टर के जरिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और दिग्गज नेता राहुल गांधी को ‘वास्तविक जीवन के देवदास’ के रूप में दिखाया गया है. राहुल गांधी के आगे देवदास के फेमस डायलॉग को सीएम ममता-केजरीवाल आदि से जोड़कर दिखाया गया है.

देवदास का डायलॉग विपक्षी एकता पर तंज

राहुल गांधी के चेहरे के आगे लिखा है, ममता दीदी ने कहा बंगाल छोड़ दो… केजरीवाल ने कहा दिल्ली और पंजाब छोड़ दो… लालू-नीतीश ने कहा बिहार छोड़ दो… अखिलेश ने कहा उत्तर प्रदेश छोड़ दो… स्टालिन ने कहा तमिलनाडु छोड़ दो… दरअसल पोस्टर में राहुल गांधी को देवदास दिखाते हुए भाजपा विपक्षी एकता पर तंज कस रही है. बता दें, विपक्षी एकता में शामिल क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस के बीच राज्य स्तर पर खींचतान देखने को मिलती है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि इन सभी विपक्षी पार्टियों का वोट बैंक लगभग एक जैसा है. सबका लक्षित वर्ग एक ही होने के कारण अक्सर इनमें आपसी टकरार दिखाई देती है.

कांग्रेस बनाम क्षेत्रीय दल की लड़ाई

हालांकि विपक्षी दलों के बीच भी आपसी खटपट रही है जहां ममता कांग्रेस को पसंद नहीं करती वहीं KCR और कांग्रेस के बीच आपसी खटपट है. दो दिनों पहले ही भाजपा के साथ-साथ केजरीवाल कांग्रेस को भी दो-चार सुना चुके हैं. लेकिन – ‘दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है’ वाली फिलॉसॉफी के बाद सभी एक साथ दिखाई दे रहे हैं. विपक्षी दलों के सामने भी पीएम चेहरे को लेकर बड़ी चुनौती होगी क्योंकि भाजपा के सामने टिकने के लिए उन्हें किसी बड़े पीएम चेहरे को मैदान में उतारना होगा जिसके नाम पर सभी विपक्षी दलों में आपसी सहमति बने.