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परंपरा तोड़कर पहली बार हिंदी में बजट भाषण देंगे अरुण जेटली!, आजादी के बाद एेसे करने वाले पहले वित्त मंत्री होंगे

अरुण जेटली आजादी के बाद हिंदी में बजट भाषण देने वाले पहले वित्त मंत्री बन जाएंगे. इससे यह भी संदेश जाएगा कि आम बजट आम आदमी के लिए है.

बजट 2019
inkhbar News
  • Last Updated: January 31, 2018 16:37:22 IST

नई दिल्ली. वित्त मंत्री अरुण जेटली कल (1 फरवरी) को आम बजट पेश करेंगे. वित्त मंत्री परंपरा तोड़ते हुए अपना बजट भाषण हिंदी में पेश कर सकते हैं. जानकार सूत्रों ने बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार चाहती है कि इसके जरिए ग्रामीण जनसंख्या से सीधा जुड़ा जा सकेगा. यह नरेंद्र मोदी सरकार का आखिरी फुल बजट होगा, जिसमें कृषि पर ज्यादा फोकस किया जाएगा. अरुण जेटली आजादी के बाद हिंदी में बजट भाषण देने वाले पहले वित्त मंत्री बन जाएंगे. इससे यह भी संदेश जाएगा कि आम बजट आम आदमी के लिए है और हिंदी में भाषण देने से लोग खासकर किसान सीधे तौर पर इससे जुड़े पाएंगे. इस बार हर कोई यही जानना चाहता है कि वित्त मंत्री जेटली के पिटारे से क्या निकलेगा. 

केंद्र की मोदी सरकार ने भले ही देश में किसानों की आमदनी को 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य रखा हो, मगर इस लक्ष्य को पा लेना इतना आसान भी नहीं होगा. आज से बजट सत्र शुरु हो चुका है. ऐसे में केंद्र सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के ताजा आकंड़ों के किसानों के लिए किसी झटके से कम नहीं हैं. आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के मुताबिक, मौसम में हो रहे बदवालों से अगले कुछ सालों में किसानों की आमदनी में 25 फीसदी तक की गिरावट दखने को मिल सकती है. आर्थिक सर्वेक्षण में के एक विश्लेषण के अनुसार, औसत से 100 मिलीमीटर कम बारिश होने की स्थिति में किसानों को खरीफ फसल से होने वाली कमाई में लगभग 15 फीसदी का नुकसान होता है. वहीं, रबी फसल में किसान को कमाई में 7 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ता है.

केन्द्र सरकार के सर्वे के अनुसार, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों की वजह से अगले कुछ साल किसानों के लिए चुनौती भरे हो सकते हैं. इतना ही नहीं, इन इसकी वजह से उन्हें आमदनी में भी नुकसान उठाने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. जलवायु परिवर्तन से किसानों को औसतन 15 से 18 फीसदी का नुकसान हो सकता है. वहीं, सिंचाईविहिन क्षेत्रों में किसानों को 20 से 25 फीसदी के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल किसानों की वार्षिक आय के आधार पर आर्थिक सर्वे को अनुमान है कि मध्यम वर्ग के किसानों को प्रति वर्ष लगभग 3,600 रुपये का नुकसान झेलना पड़ सकता है. ऐसे में देखना होगा कि इन चुनौतियों से किसानों को निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार और क्या कदम उठाती है.

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