लखनऊ, UP Elections 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के 9 जिलों में 59 सीटों पर उतरे 624 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद कर ली गई है. बुधवार को सिख-किसान बाहुल्य तराई बेल्ट और लखनऊ सहित अवध इलाके की सीटों पर मतदान किए जा चुके हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक, चौथे फेज की 59 सीटों पर 61.52 फीसदी मतदान किया गया जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीटों पर 62.55 फीसदी वोटिंग रही थी और 2019 के लोकसभा चुनावों में यह 60.03 प्रतिशत था.
चौथे चरण के चुनाव के मतदान ट्रेंड की बात करें तो पिछले चुनाव से एक फीसदी वोटिंग कम हुई है, लेकिन सिख और किसान बाहुल्य सीटों पर जमकर मतदान हुए हैं. इस फेज में किसान आंदोलन का असर वाले तराई बेल्ट में सिख वोटरों का दबदबा था तो अवध के इलाके में पासी निर्णायक है. सिख और किसान बाहुल्य सीटों पर वोटिंग ज्यादा हई हैं जबकि शहरी क्षेत्रों में वोटिंग फीकी रही है. सिख बहुल पीलीभीत में 67.59 फीसदी, लखीमपुर खीरी में 66.32 फीसदी, सीतापुर में 62.66 फीसदी मतदान हुआ. वहीं, हरदोई में 58.99 फीसदी, उन्नाव में 57.73 फीसदी, फतेहपुर में 60.07 फीसदी, बांदा में 60.36 फीसदी, लखनऊ में 60.05 फीसदी, रायबरेली में 61.90 फीसदी मतदान हुआ.
चौथे चरण के तराई बेल्ट और अवध इलाके की सीटों पर मतदान हुए हैं, जहां पर 61.52 फीसदी मतदान हुआ. हालांकि, 2012 में इन 59 सीटों पर 61.55 फीसदी मतदान हुआ थी जबकि 2017 में 62.55 फीसदी मतदान था. इस तरह से 2012 की तुलना में 2017 में मतदान में एक फीसदी का इजाफा हुआ था. 59 सीटों का वोटिंग फीसद बढ़ने से भाजपा को जबरदस्त फायदा और विपक्षी दलों का जोरदार नुकसान हुआ था.
बीते दिन चौथे चरण की जिन 59 सीटों पर मतदान हुए हैं, उनके विश्वलेषण करने पर साफ पता चलता है कि वोटिंग फीसदी बढ़ने से विपक्ष को लाभ मिलता. 2017 में इन 59 में से 51 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों को जीत मिली थी जबकि एक सीट पर उसके सहयोगी अपना दल ने कब्ज़ा की थी. वहीं, सपा को 4 और कांग्रेस-बसपा को दो-दो सीट मिली थी. 2012 के चुनाव में इन 59 सीटों में से भाजपा को 3, सपा को 39, बसपा को 13, कांग्रेस को तीन और अन्य को एक सीटों पर जीत मिली थी. इस तरह से 2017 में भाजपा को 48 सीटों का फायदा मिला था तो सपा को 35, कांग्रेस को 1 और बसपा को 11 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा था.
वहीं, 2007 के विधानसभा चुनाव में इन 59 सीटों पर 49 फीसदी वोटिंग हुई थी, जिसमें बसपा को 27, सपा 17, भाजपा 9 और कांग्रेस को 6 सीटें मिली थी. 2012 के चुनाव में 12 फीसदी वोटिंग इजाफा हुआ तो सपा को 22 सीटों का फायदा हुआ, बसपा को 14 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा. पिछले तीन चुनाव की वोटिंग पैटर्न से यह बात साफ ज़ाहिर होता है कि वोटिंग फीसदी के बढ़ने से विपक्ष को फायदा मिलता है तो सत्तापक्ष को नुकसान होता आया है. इस बार का मतदान भी लगभग 2012 के चुनाव के बराबर रहा है.