Inkhabar
  • होम
  • राजनीति
  • पांच बार सांसद, चार बार उपराज्यपाल.. ऐसा रहा उपराष्ट्रपति उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का सियासी सफर

पांच बार सांसद, चार बार उपराज्यपाल.. ऐसा रहा उपराष्ट्रपति उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का सियासी सफर

नई दिल्ली, राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब देश में उप राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी सगर्मिया बढ़ गई है. उपराष्ट्रपति पद के लिए 6 अगस्त को चुनाव होने जा रहा है और इसी दिन नतीजे भी आ जाएंगे. एनडीए की ओर से जगदीप धनकड़ उपराष्ट्रपति उम्मीदवार हैं जबकि विपक्ष के ओर से मार्गरेट अल्वा उपराष्ट्रपति […]

margaret alva
inkhbar News
  • Last Updated: August 5, 2022 22:19:49 IST

नई दिल्ली, राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब देश में उप राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी सगर्मिया बढ़ गई है. उपराष्ट्रपति पद के लिए 6 अगस्त को चुनाव होने जा रहा है और इसी दिन नतीजे भी आ जाएंगे. एनडीए की ओर से जगदीप धनकड़ उपराष्ट्रपति उम्मीदवार हैं जबकि विपक्ष के ओर से मार्गरेट अल्वा उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार है. ऐसे में, आइए आपको मार्गरेट अल्वा के सियासी सफर के बारे में बताते हैं:

उत्तराखंड की पहली महिला उपराज्यपाल

मार्गरेट अल्वा अपने कार्यकाल में चार बार उपराज्यपाल रह चुकी हैं, कर्नाटक के मैंगलों में 1942 में 14 अप्रैल को जन्मी मार्गरेट राजस्थान की (12 मई 2012 – 07 अगस्त 2014) राज्यपाल रह चुकी हैं, उन्होंने 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक उन्होंने बतौर उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल कार्य किया है. बता दें मार्गरेट अल्वा ने वकील के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी, वह सामाजिक कार्यकर्ता भी रही हैं. 1999 में लोक सभा के लिए निर्वाचित होने से पहले मार्गरेट आल्वा 1974 से लागतार चार बार 6 साल के लिए राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुईं थी, वो कांग्रेस की वरिष्ठ सदस्य हैं.

राजीव गाँधी कार्यकाल में भी किया काम

मार्गरेट UPA सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद भी संभाल चुकी हैं. साल 1984 की राजीव गाँधी की सरकार में श्रीमती आल्वा को संसदीय मामलों का केंद्रीय राज्य मंत्री पद सौंपा गया था. कार्यकाल समाप्त होने पर उन्हें बाद में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में युवा मामले तथा खेल, महिला एवं बाल विकास के प्रभारी मंत्री का दायित्व सौंपा गया.

संसदीय समितियों में भी रहीं शामिल

मार्गरेट अल्वा करीब 30 साल तक सांसद रहीं हैं, इस दौरान वह संसद की महत्वपूर्ण समितियों व सार्वजनिक निकायों की समिति (सी.ओ.पी.यू.), लोक लेखा समिति (पी.ए.सी.), पर्यटन और यातायात, विज्ञान एवं तकनीकी, विदेश मामलों की स्थायी समिति, पर्यावरण व वन तथा महिला अधिकारों की चार महत्त्वपूर्ण समितियां- जैसे दहेज निषेध अधिनियम (संशोधन) समिति, विवाह विधि (संशोधन) समिति, समान पारिश्रमिक समीक्षा समिति और स्थानीय निकायों में महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए 84वें संविधान संशोधन प्रस्ताव के लिए बनी संयुक्त चयन समिति में भी सक्रिय रही हैं. 1999 से 2004 तक महिला सशक्तीकरण की संसदीय समिति की सभापति रह चुकी हैं.

बालिकाओं के विकास के लिए बनाई योजना

1986 में यूनिसेफ एशिया के बच्चों पर हुई प्रथम कॉन्फ्रेंस में अल्वा सभापति थी, इसके अलावा महिला विकास पर हुई सार्क देशों की मंत्री स्तर की बैठक की सभापति रही थीं. इस बैठक में सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों ने 1987 को बालिका वर्ष घोषित किया था, वहीं साल 1989 में केंद्र सरकार ने अल्वा को महिलाओं के विकास की विस्तृत रणनीति की योजना का मसौदा तैयार करने के मूल समूह का अध्यक्ष बनाया था.

विश्व के प्रमुख संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया

– महिला दशक के दौरान संयुक्त राष्ट्र के सभी महत्वपूर्ण सम्मेलनों में आल्वा ने भारत का प्रतिनिधित्व किया हैं, साल 1986 में शांति के लिए विश्व महिला सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्ष भी रहीं थी.

– साल 1992 में सिओल में महिलाओं पर की जाने वाली हिंसा के विरुद्ध बैठक में अल्वा को ESCAPE का अध्यक्ष चुना गया.

– 1976 में संयुक्त राष्ट्र की साधारण सभा में राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल की सदस्य रहीं थीं, वहीं साल 1997 में अन्तरराष्ट्रीय विकास समिति (रोम) के संचालन परिषद कार्यकारणी में तीन वर्ष तक निर्वाचित सदस्य रहीं.

– बालश्रम की राष्ट्रीय समिति तथा नेशनल चिल्ड्रन बोर्ड की मार्गरेट अल्वा उप-सभापति रही हैं.

 

Rahul Gandhi PC: राहुल गांधी बोले- आज हिंदुस्तान का कोई भी संस्थान स्वतंत्र नहीं, सब RSS के नियंत्रण में है