Inkhabar
  • होम
  • अध्यात्म
  • जन्मदिन विशेष: धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोविन्द ने मुगलों से लड़े थे 14 युद्ध

जन्मदिन विशेष: धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोविन्द ने मुगलों से लड़े थे 14 युद्ध

आज सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविन्द सिंह का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 22 दिसम्बर, 1666, को पटना साहिब, बिहार के पटना में हुआ था. गोविन्द सिंह अपने पिता गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के एक मात्र पुत्र थे.

Guru govind singh, Birthday Special, Guru Govind Singh Jayanti, Special Story, India News
inkhbar News
  • Last Updated: December 22, 2016 04:04:19 IST

नई दिल्ली: आज सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविन्द सिंह का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 22 दिसम्बर, 1666, को पटना साहिब, बिहार के पटना में हुआ था.

गोविन्द सिंह अपने पिता गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के एक मात्र पुत्र थे. उनके पिता तेग बहादुर की मृत्यु के बाद 11 नवंबर सन 1675 में गुरु बने…
 
गुरु गोविन्द सिंह खालसा पंथ के संस्थापक हैं और उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी और कवि माना जाता है.
 
बचपन में इन्हें सभी प्यार से ‘बाला प्रीतम’ कह कर पुकारते थे.लेकिन इनके मामा इन्हें गोविन्द की कृपा से प्राप्त मानकर गोविन्द नाम से पुकारते थे.
 
गोविन्द जी का पूरा बचपन बिहार में बीता. जब 1675 में  तेगबहादुर जी दिल्ली में हिंदू धर्म की रक्षा के लिए लिए अपनी जान की कुरबानी दे दी उसके बाद मात्र नौ वर्ष की उम्र में  गोविन्द जी ने गुरु की गद्दी धारण की.
 
गुरु गोविन्द सिंह जब पैदा हुए थे उस वक्त उनके पिता तेग बहादुर बंगाल में थे. उन्होंने अपने बेटे का नाम गोविन्द राय रखा था.  उसके बाद सन 1699 को बौसाखी वाले दिन गुरुजी पंज प्यारों से अमृत ठक कर गोविन्द राय से गोविन्द सिंह जी बन गए.
 
उनके दरबार में 52 कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसीलिए उन्हें ‘संत सिपाही’ भी कहा जाता था.
 
गुरु गोबिंद सिंह जी की पत्नियां, माता जीतो जी, माता सुंदरी जी और माता साहिबकौर जी थीं .

पढ़ें: महिलाएं क्यों नहीं फोड़ सकतीं नारियल?

उन्होंने ही मुगल शासकों के अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए सिक्ख समुदाय के लोगों की मदद की थी.उन्होने मुगलों या उनके सहयोगियों (जैसे, शिवालिक पहाडियों के राजा) के साथ १४ युद्ध लड़े.

गुरु गोविन्द सिंह जी की यह इच्छा थी कि उनके मृत्यु के बाद भी उनके सहयोगियों में से एक नांदेड़ में ही रहें तथा गुरु के लंगर को निरंतर चलाएं तथा बंद न होने दें. गुरु की इच्छा के अनुसार यहां सालभर लंगर चलता है. हाराष्ट्र के नांदेड शहर में स्थित ‘हजूर साहिब सचखंड गुरुद्वारा’ में सिखों के दसवें तथा अंतिम गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने प्रिय घोड़े दिलबाग के साथ अंतिम सांस ली थी. ऐसा कहा जाता है कि यह हत्या धार्मिक तथा राजनैतिक कारणों से कराई गई थी.

Tags