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छठ पूजा 2017: भोर का अर्घ्य 27 अक्टूबर को, पूजा विधि और महत्व

छठ महापर्व में अर्ध्य का विशेष महत्व है. अर्ध्य के रूप में कच्चा दूध और शुद्ध जल चढ़ाया जाता है और भगवान सूर्य से अपने और अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना की जाती है.

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  • Last Updated: October 13, 2017 09:42:24 IST
नई दिल्ली.  छठ महापर्व को लोक आस्था का पर्व कहा जाता है. इस छठ महापर्व में अर्ध्य का विशेष महत्व होता है.   फलो की टोकरियों के साथ अर्ध्य के रूप में कच्चा दूध और शुद्ध जल चढ़ाया जाता है और भगवान सूर्य से अपने और अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना की जाती है. दिवाली इस बार 19 अक्टूबर को है. हर दिवाली से छह दिन पहले छठ पर्व मनाया जाता है. इस बार छठ का त्योहार 24 अक्टूबर से शुरू होकर 27 अक्टूबर को संपन्न होगा. खास तौर पर तो छठ पूजा देश के पूर्वोत्तर राज्यों में की जाती है. लेकिन इस पूजा के महत्व को देखते हुए अन्य राज्य के लोग भी इस पूजा को करते हैं. छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है. इसके बाद खरना होता है. छठ पूजा के तीसरे दिन सांझ का अर्घ्य होता है. इसके बाद भोर का अर्घ्य के बाद ये व्रत संपन्न होता है. भोर अर्घ्य को ऊषा अर्घ्य भी कहते हैं. छठ पूजा 4  दिनों तक की जाती है. इस व्रत की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को और कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक चलता है. इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं. इस दौरान वे अन्न तो क्या पानी भी नहीं ग्रहण करते है.
 
छठ पूजा 2017 का महत्व
 
ऐसी मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राज-पाट हार गए तब द्रौपदी ने छठ का व्रत किया. तब से मान्यता है कि व्रत व पूजा करने से दौपद्री की मनोकामना पूरे हो गयी थी. तभी से इस व्रत को करने प्रथा चली आ रही है. इसी प्रकार कहा जाता है कि सूर्य देव और छठी देवी का रिश्ता भाई-बहन का है. 
 
भोर या ऊषा अर्घ्य का महत्व 
 
भोर का अर्ध्य महत्व उतना ही है जितना सांझ का अर्ध्य का होता है. इस दिन व्रती सुबह सूर्य उगने से पहले पूरे परिवार के साथ डाला लेकर घाट पर जाते हैं और जल में खड़े होकर भगवान सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करते हैं. कहा जाता है कि सूर्य देव की दो पत्निया थीं ऊषा और प्रत्युषा. ये दोनों को सुबह की किरणों और शाम की किरणों से वर्णित किया जाता है. सुबह की किरणों को भोर और शाम की किरणों को सांझ कहा जाता है. 
 
घाट किराने प्रसाद रखा जाता है और धूप-दीप जलाया जाता है. महिलाएं छठी मैया के गीत गाती हैं. इस दौरान पूरा माहौल बेहद खूबसूरत होता और घाट की छटा देखते ही बनती है. सूर्य उगने के दौरान कच्चे दूध को सूप पर डालकर भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. व्रती घाट पर गए सभी डाला को एक-एक कर भगवान सूर्य को अर्पित करते हैं और इस तरह भगवान सूर्य को अर्ध्य देने के बाद व्रती का व्रत पूरा होता है. छठ का व्रत रखने वाली महिलाओं को परवैतिन कहा जाता है. छठ करने वाले लगातार 36 घंटों तक उपवास रखते हैं. इस दौरान खाना तो क्या, पानी तक नहीं पिया जाता है. 
 
छठ पूजा 2017 कैलेंडर
 
पूजा का पहला दिन नहाय खाय पूजा मुहूर्त और तारीख- 24 अक्टूबर 2017, सुबह 7 बजे से दोपहर  2.30 बजे तक
पूजा का दूसरा दिन खरना लोहंडा मुहूर्त और तारीख- 25 अक्टूबर 2017, सूर्योदय 6.28 मिनट, सूर्य अस्त- 5.42 मिनट
पूजा का तीसरा दिन सांझ या शाम का अर्घ्य मुहूर्त और तारीख- 26 अक्टूबर 2017, सूर्योदय 6.29 मिनट, सूर्य अस्त- 5.41 मिनट
पूजा का चौथा दिन भोर या ऊषा, सुबह का अर्घ्य मुहूर्त और तारीख- 27 अक्टूबर 2017, सूर्योदय 6.29 मिनट, सूर्य अस्त- 5.40 मिनट
 
 

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