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भाई दूज 2017: ये है भाई दूज की पौराणिक कथा और पूजा विधि

भाई दूज 2017 का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है. भाई-बहन के प्यार और स्नेह का ये त्योहार बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है.

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  • Last Updated: October 20, 2017 03:08:07 IST
नई दिल्ली. भाई दूज 2017 का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है. भाई-बहन के प्यार और स्नेह का ये त्योहार बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. आज भाई दूज, भाई और बहन के बीच के प्यार का त्योहार है, यह त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. पांच दिनों के दिवाली उत्सव के आखिरी दिन ये त्योहार मनाया जाता है. ये दिन भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. बता दें  भाई दूज का मतलब होता है कि भाई माने भाई और दूज का अर्थ होता है नए चांद के उदय के बाद के अगला दिन, जिस दिन ये त्योहार मनाया जाता है. इस दिन मान्यता है कि भाई यमुना में स्नान करते हैं जिससे उन्हें यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है.
 
इस त्योहार को मनाने के पीछे ये कथा बेहद प्रचलित है. कहीं कहीं इस कथा को कार्तिक द्वितीया पर सुनने के परंपरा है. कथा के बाद पूरे विधि विधान के साथ भाई बहन इस त्योहार को मनाते हैं. इसीलिए इस विशेष त्योहार पर हम आपके लिए लाएं हैं भाई दूज व्रत कथा. जिसे इस दिन पढ़ना चाहिए. इसी कथा के अनुसार मान्यता है कि बहन अपने भाई के लिए पकवान व व्यंजन बनाते हैं.
 
भाई दूज कथा
कहा जाता है कि सूर्य की पुत्री का नाम यमुना और पुत्र का नाम यमराज था. दोनों बहन-भाई में बड़ा स्नेह था. एक दिन यमुना ने अपने भाई को भोजन पर निमत्रंण भेजा. लेकिन कई बार बहन के बोलने पर भी भाई यमराज हर बार इस बात को टालता रहा. ऐसे ही एक दिन बहन यमुना ने कार्तिक शुक्ल के दिन भाई को दोबारा निमंत्रण भेजा. इस बार यमुना ने भाई को वचन देकर आने के लिए मजबूर कर दिया. लेकिन तब यमराज ने सोचा कि मैं यमराज हूं लोगों के प्राण हरता हूं. मुझे कोई अपने घर नहीं बुलाना चाहता है. उस दिन यमराज ने सोचा कि बहन ने वचन लिया है. इसीलिए इस बार वहां जाना ही पड़ेगा. जब भाई यमराज वहां पहुंचा तो यमुना भाई को देखकर खुश हो गई. उस दिन यमुना ने कई तरह के भोग बनाएं और अपने भाई को प्यार के साथ खिलाया. ये देखकर भाई ने बहन यमुना को वरदान दिया. तब यमुना ने वरदान में मांगा कि ‘हे भैया, मैं चाहती हूं कि जो भी मेरे जल में स्नान करे, और  मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, वह यमपुरी नहीं जाए. तभी से यह मान्यता चली आ रही है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीय को जो भाई अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करते हैं उन्हें यमराज का भय नहीं रहता. इसीलिए तभी से भाई-बहन के प्यार और स्नेह का त्योहार मनाया जा रहा है.
 
भाई दूजा पूजा विधि
इस दिन बहने भाई को तिलक करती हैं. इस दिन तिलक करने का विशेष महत्व होता है. इस पूजा में बहन भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाती हैं. फिर उस पर सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल रखती हैं. इस दिन भाई को सूखा नारियल यानि गोला देने की परंपरा है. कहीं कहीं पर गोले में बूरा भर कर भी दी जाती है. फिर भाई का मुंह मीठा करवाती है. इसके बाद बहन भाई की लंबी आयु की कामना करती है. फिर भाई बहन को उपहार देता है. 
 
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